बिहार

दो माह बाद भी वजूद में नहीं आ सका पंस भवन

Admin Delhi 1
8 Aug 2023 6:15 AM GMT
दो माह बाद भी वजूद में नहीं आ सका पंस भवन
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गया: बोधगया मोराटाल पंचायत सरकार भवन बजूद में अब तक नहीं आ सका है. जिले के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने दो माह पूर्व निर्देश देकर जल्द भवन के संचालित के लिए कहा था. इसके बावजूद आज तक प्रशासनिक लापरवाही के कारण भवन को संचालित नहीं किया जा सका है. गौरतलब है कि लगभग ग्यारह वर्ष पहले पंचायत सरकार भवन की स्थापना राज्य सरकार ने यह सोच कर कराया था कि पंचायत स्तर के कार्यों के निष्पादन के लिए पंचायत की सरकार होगी, लेकिन सपना अधूरा ही रह गया.

एक करोड़ की लागत से बना था भवन वर्ष 2012 में एक करोड़ रुपए की लागत से भवन बनवाया गया था. ग्यारह वर्षों में आज तक एक दिन भी कोई अधिकारी पंचायत सरकार भवन में नहीं बैठे. अधिकारियों और कर्मचारियों के इंतजार में पंचायत सरकार भवन पूरी तरह जर्जर हो गया. भवन के शीशे, फर्श, दरवाजे, पूरी तरह से टूट चुके हैं. रखरखाव के अभाव में पूरी तरह से हुई जर्जर हालत में पहुंच गई. इसकी संज्ञान सामने आने के बाद डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने मई माह में स्थानीय अधिकारियों जीर्णोद्धार कराने का निर्देश दिया था. डीएम के निर्देश दिए दो माह बीत गए. लेकिन अभी तक भवन का जीर्णोद्धार का काम शुरू नहीं हो सका है.

मोराटाल पंचायत में रूका नली-गली का काम

वहीं मोराटाल पंचायत में नली, गली, सड़क का काम रुका हुआ. पंचायत सेवक के नहीं रहने की वजह से सभी तरह के विकास कार्य बाधित है. पंचायत की मुखिया लालमंती देवी ने बताया कि पिछले दो माह से पंचायत सेवक नहीं है. उसके जगह पर अबतक कोई दूसरा पंचायत सेवक की नियुक्ति नहीं कि गई है. जिसके कारण पंचायत में कोई भी विकास का काम नहीं हो रहा है. जो काम होने वाला था. वह भी रुका हुआ है. सरकार राज्य के सभी प्रखंड के पंचायतों में करोड़ों रुपए खर्च कर पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया था, ताकि उस पंचायत के लोगों को प्रखंड मुख्यालय के आरटीपीएस काउंटर पर नहीं पहुंचना पड़े. लेकिन मोराटाल पंचायत सरकार भवन आजतक अपनी अस्तित्व में नहीं आई.

पंचायत सेवक की नियुक्ती का पत्र आ चुका है. जल्द ही वहां उनकी नियुक्ति कर दी जाएगी. वहीं पंचायत सरकार भवन के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है. राशि उपलब्ध नहीं रहने की वजह से जीर्णोद्धार का काम शुरू नहीं हो सका है. पंचायत सरकार भवन को लेकर हमलोग खुद गंभीर हैं.

-अंजू कुमारी, बीपीआरओ

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