बिहार

अब पार्षद नहीं जनता चुनेगी अपना मेयर और डिप्टी मेयर, जानिए क्यों जरूरी हैं संशोधन

Renuka Sahu
15 Jan 2022 2:36 AM GMT
अब पार्षद नहीं जनता चुनेगी अपना मेयर और डिप्टी मेयर, जानिए क्यों जरूरी हैं संशोधन
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फाइल फोटो 

बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश 2022 की अधिसूचना जारी होते ही शहरों की सरकार के प्रमुख का चुनाव वार्ड पार्षदों के हाथ से निकलकर आम मतदाताओं के हाथ में आ गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश 2022 की अधिसूचना जारी होते ही शहरों की सरकार के प्रमुख का चुनाव वार्ड पार्षदों के हाथ से निकलकर आम मतदाताओं के हाथ में आ गया है। इसके बाद भी राज्य में नगर निगमों के महापौर-उपमहापौर या बाकी नगर निकायों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन जनता के वोट से कराने के लिए नियम-कायदों में सात और बड़े बदलाव करने होंगे। इनमें से बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली में संशोधन राज्य सरकार के स्तर पर होगी। इसमें राज्य मंत्रिपरिषद की सहमति लेनी होगी।

बाकी छह कायदों या मैनुअल में बदलाव राज्य निर्वाचन आयोग को तय करना होगा। मतदाताओं और उम्मीदवारों से लेकर चुनाव का संचालन करने वाले पदाधिकारियों के लिए पूरी प्रक्रिया स्पष्ट करने हेतु यह आवश्यक होगा। इसके बिना विरोधाभासी प्रावधानों या विवादों का सामना करना पड़ सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग को प्रावधानों में संशोधन कर इनकी पुस्तिकाओं को नए सिरे से जारी करना होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर पर संशोधन के लिए जरूरी ये नियम-कायदे आदर्श चुनाव आचार संहिता, निर्वाचन प्रतीक आवंटन आदेश, चुनाव खर्च अनुश्रवण नियमावली, चुनाव प्रेक्षक मैनुअल, निर्वाची पदाधिकारी मैनुअल, मतदान अधिकारी मैनुअल और पीठासीन पदाधिकारी मैनुअल हैं। इनकी रोशनी में ही निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता/निष्पक्षता सुनश्चित करता है। इसके अलावा अधिकारियों को भी निगरानी के दिशा-निर्देश इन्हीं के माध्यम से दिए जाते हैं।
क्यों जरूरी हैं संशोधन
बिहार नगर पालिका निर्वाचन नियमावली: इसके तहत महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के उम्मीदवार बनने के पहले से निर्देशित तरीके में बदलाव करना होगा। उनके नामांकन से लेकर जीत का प्रमाण-पत्र देने तक के तरीकों को नए संदर्भों में परिभाषित करना होगा।
आदर्श चुनाव आचार संहिता: महापौर या उपमहापौर को लाख- दो लाख मतदाता चुनेंगे। ऐसे में बड़ी सभाओं के प्रावधान की व्यवस्था भी हो सकती है। कद्दावर नेताओं की उम्मीदवारी और गैर दलीय चुनाव के बावजूद राजनीतिक दलों से उनकी संबद्धता की संभावना को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रक्रिया के बीच में किसी बड़ी विकास परियोजना के संचालन या उद्घाटन को रोकने के लिए प्रावधान जोड़े जा सकते हैं। महापौर उम्मीदवार की आचार संहिता के प्रावधान भी नए संदर्भों में करने होंगे।
निर्वाचन प्रतीक आवंटन आदेश: वार्ड पार्षदों की जगह सीधे आम जनता के बीच से चुनने के कारण महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए चुनाव चिह्नों की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे चुनाव चिह्नों को चुनकर उसे सार्वजनिक भी करना होगा।
चुनाव प्रेक्षक मैनुअल: शहर की सरकार के प्रमुख और उपप्रमुखों का चुनाव बड़े दायरे में होने के कारण थोड़ा जटिल होगा। ऐसे में चुनाव खर्च से लेकर बाकी गतिविधियों तक पर निगरानी के चेक प्वाइंट में बदलाव करने होंगे।
निर्वाची पदाधिकारी मैनुअल: नगर निकायों के प्रमुख और उपप्रमुख के नामांकन से लेकर मतदान और मतगणा तक की पूरी प्रक्रिया की व्याख्या नए सिरे से बदले हुए संदर्भों में करनी होगी।
मतदान अधिकारी मैनुअल: पहले केवल वार्ड पार्षद उम्मीदवारों के लिए एक सूची का प्रावधान था। अब महापौर या अध्यक्ष और उपमहापौर या उपाध्यक्ष के लिए उम्मीदवारों की तीन सूची का प्रावधान करना होगा।
पीठासीन पदाधिकारी मैनुअल: पहले एक पद के लिए चुनाव ईवीएम से होता था। अब तीन पदों के लिए चुनाव मल्टी पोस्ट ईवीएम या बैलेट से होगा इसे तय कर प्रावधान करने होंगे।
263 कुल नगर निकाय हैं राज्य में
142 में पहले हुए हैं चुनाव
121 में पहली बार होंगे चुनाव
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