बिहार

कोरोना से जंग में बेदम हुआ मलेरिया, मरीजों की संख्या में गिरावट

Admin Delhi 1
5 May 2023 11:05 AM GMT
कोरोना से जंग में बेदम हुआ मलेरिया, मरीजों की संख्या में गिरावट
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भागलपुर न्यूज़: भागलपुर समेत पूरे पूर्वी बिहार में बीते तीन साल से कोरोना के खिलाफ चल रही जंग का सुखद पहलू सामने नजर आया है. कोरोना से लड़ने के लिए घरों और आसपास हुए रसायन के छिड़काव और सेनेटाइजेशन से मलेरिया का मच्छर बेदम हो गया है. हर साल मिलने वाले मरीजों की संख्या में तेजी से गिरावट हुई है. इस साल में अब तक (29 अप्रैल तक) बुखार के 8463 मरीजों की जांच हुई, जिसमें से सिर्फ 10 मलेरिया के मरीज मिले हैं. इसमें भी खास यह है कि बीते तीन साल में मिले संक्रमितों ज्यादा की ट्रैवल हिस्ट्री रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह पैरासाइट प्रवासी कामगार लेकर आ रहे हैं. पूर्वी बिहार में एनाफिलीज मच्छरों के घनत्व में भी गिरावट हुई है.

मायागंज अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकमल चौधरी ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यत शाम और सुबह के बीच काटता है. यह गंदे पानी में पनपता है. अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है. परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है. संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं. वरीय फिजिशियन डॉ. राजकमल चौधरी ने बताया कि आईआईटी इंदौर के एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना या मलेरिया का लक्षण अगर दिखता है तो इस दौरान न केवल कोरोना बल्कि मलेरिया की भी जांच करानी चाहिए.

साल 2019 के बाद कम हो गए मलेरिया के मामले

साल 2019 में जिले में मलेरिया के कुल 27 मामले मिले थे. साल 2020 में कोरोना ने दस्तक दी तो साफ-सफाई, फागिंग, सेनेटाइजेशन का दौर शुरू हुआ. आसपास के इलाके साफ-सुथरे होने शुरू हो गये. जिसका परिणाम यह हुआ कि साल 2020 व 2021 में नौ से दस की औसत में मलेरिया के मामले मिले. जबकि साल 2022 में नौ मलेरिया के मरीज मिले थे. इस साल मई तक जिले में दस मलेरिया के मामले मिले हैं. इनमें से सबसे ज्यादा पीरपैंती प्रखंड में सात व गोराडीह, बिहपुर व नारायणपुर में एक-एक मलेरिया के मामले मिले हैं.

10 से 14 दिन बाद यह रोग होता है विकसित

वरीय फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा ने बताया कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है. सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंचकर हानि पहुंचाते हैं. गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है. यह बीमारी मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने के कारण होती है. अगर मलेरिया का संक्रमित मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है.

मलेरिया से बचाव के ये हैं उपाय

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया कि मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरी बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें. घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं.

ये हैं सामान्य लक्षण

चार से आठ घंटे के चक्र में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, खांसी, मांसपेशियों में दर्द होना, छाती व पेट में दर्द, शरीर में ऐंठन होना, मल के साथ रक्त आना, पसीना आना और उल्टी.

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