भारत सरकार ने मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के तहत 750 करोड़ रुपए की दी थी स्वीकृति
बेगूसराय न्यूज़: राज्य सरकार की लापरवाही व उदासीनता से बेगूसराय में प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक हब की राशि सरेंडर हो गई.
इस येाजना पर 750 करोड़ रुपए खर्च होने थे. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के तहत मॉडिफाइड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर स्कीम ईएमसी-2 को अधिसूचित किया था. इसके खुलने से बड़े पैमाने पर थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता था. ये बातें स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहीं. वे बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप स्थित गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
मंत्री ने कहा कि किसी योजना को लाने में बड़ी मशक्कत होती है. केंद्रीय मंत्री ने पेप्सी प्लांट प्रबंधन को स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं देने के लिए आड़े हाथों लिया. कहा कि इस उद्योग से स्थानीय लोगों को किसी तरह का लाभ नहीं मिल रहा है. भूगर्भीय जल का दोहन हो रहा है. इससे उस इलाके में भूगर्भीय जलस्तर नीचे जा रहा है. उन्होंने शुरू में ही इसका विरोध किया था. पेप्सी प्लांट के लिए गंगाजल व बारिश के पानी का उपयोग हो.
घोषणा के मुताबिक काम शुरू कराए राज्य सरकार मंत्री ने कहा कि सिमरिया गंगातट पर नमामि गंगे के तहत 13 करोड़ की राशि से काम हो रहा है. लेकिन, राज्य सरकार द्वारा घोषित 200 करोड़ की योजना पर कोई काम नहीं हो रहा है. जिले में हवाई अड्डे के सवाल पर कहा कि भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय से इसके लिए हरी झंडी मिल चुकी है. लेकिन, राज्य सरकार को आवश्यकतानुसार भूमि उपलब्ध करानी होगी. राज्य सरकार का इस मामले में भी ढीलाढाला रवैया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक लाख 72 हजार यूनिट की राशि वापस हो गई. इसमें बेगूसराय का भी हक मारा गया है.