पटना: डायबिटीज, टीबी, उच्च रक्तचाप के बाद फैटी लिवर पटनावासियों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. पहले यह बीमारी मोटे, बुजुर्गों व प्रौढ़ों में ज्यादा मिलती थी, लेकिन अब इस बीमारी की जद में बच्चों और युवा भी आ गए हैं. शहर के अस्पतालों में फैटी लिवर के मरीजों में बड़ी संख्या बच्चे- युवाओं की है.
पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित बंका बताते हैं कि खाने में फास्ट फूड, कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा, हरी सब्जियों से दूरी, शारीरिक गतिविधियां कम होने से बच्चों और युवाओं में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है. मौजूदा समय में बच्चों का स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ने के कारण उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हुई हैं. आईजीआईएमएस के उप निदेशक सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल बताते हैं कि आईजीआईएमएस में पेट रोग विभाग में आने वाले प्रत्येक सौ में से 30 मरीज फैटी लिवर के आ रहे हैं.
इनमें 15 वर्ष से 70 वर्ष तक के मरीज शामिल हैं:नए ट्रेंड में अब बच्चों में भी फैटी लीवर के मामले मिलने लगे हैं. दो दशक पहले फैटी लीवर की समस्या इक्का-दुक्का मरीजों में मिलती थी लेकिन आज अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज लीवर से जुड़ी बीमारियों को लेकर पहुंच रहे है. उन्होंने बताया कि गांवों व शहरों के बाजारों में प्रयोग किए हुए तेल का बार-बार उपयोग करने से यह समस्या गहरा रही है. इसके अलावा चाइनिज, इटालियन खान-पान में प्रयोग किए जाने वाले सॉस से भी बीमारी हो रही है.
व्यायाम की कमी, मोटापा, मांसाहार, जंक फूड, कोल्ड ड्रिक्स आदि के सेवन
इलाज: डॉ. की सलाह पर नियमित दवाइयां, जंक फूड और कार्बोहाइड्रेटेड ड्रिंक से परहेज, सादा भोजन खाना, शराब का सेवन नहीं करना, व्यायाम नियमित, शारीरिक परिश्रम, नियमित रूप से लिवर का अल्ट्रासाउंड जांच कराना.