बिहार

जाति आधारित गणना में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समझाने में प्रगणक हो रहे परेशान

Admin Delhi 1
20 Jan 2023 12:01 PM GMT
जाति आधारित गणना में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समझाने में प्रगणक हो रहे परेशान
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रोहतास न्यूज़: नाम सावन गुप्ता, प्रिया देवी, गुड्डू सिंह...चार लोग हैं और चारों अलग-अलग परिवार हैं. घर के मुखिया अयोध्या प्रसाद के यह बताने पर प्रगणक का कहना है कि अभी तो उनके बच्चों की शादी नहीं हुई, और सबका खाना एक साथ ही बनता है, तो यह एक ही परिवार कहलाएगा. ऐसे में दलील के बाद भी घर के मुखिया एक परिवार वाले फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हुए. अब जब यह रिपोर्ट प्रगणक भरकर दे रहे हैं, तो उसे विभागीय अधिकारी खारिज कर दे रहे हैं और दोबारा रिपोर्ट भरने के लिए पर्यवेक्षक और प्रगणकों को उसी घर में पहुंचना पड़ रहा है.

जाति आधारित गणना के पहले चरण में यह अनोखी समस्या लगभग सभी प्रखंडों में आ रही है. माता-पिता, भाई-बहन एक साथ रहते हुए भी चार-पांच परिवार गणना के समय दिखा रहे हैं. जाति आधारित गणना में ग्रामीण क्षेत्रों में समझा कर पर्यवेक्षक और प्रगणक परेशान हो गए हैं. एक साथ चूल्हा जलने के बाद भी बता रहे अलग

अलग चूल्हा नहीं रहने पर भी खुद को अलग परिवार बता रहे हैं. फॉर्म भरने में अलग परिवार नहीं लिखने पर हस्ताक्षर करने से घर के मुखिया मना कर देते हैं.

गणना को लेकर ग्रामीणों की सोंच यह है कि इसके आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. ऐसे में वे सभी सदस्य को ही अलग-अलग परिवार बना दे रहे हैं.

सासाराम, डेहरी, अकोढ़ीगोला समेत जिले के विभिन्न प्रखंडों में यह समस्या है.

अपर समहर्ता चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने बताया कि जातीय जनगणना के दौरान मकान पर नंबर अंकित करने के साथ परिवार के कुल सदस्यों की संख्या अंकित करना है. साथ ही परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर कराना है.

व्यवसायिक व आवासीय होने पर जानकारी फॉर्मेंट में अंकित करना है. लोगों को जनगणना में लगे कर्मियों का सहयोग करना चाहिए. तभी हम इस काम में सफल होंगे. कहीं से इसका सरकारी लाभ से लेना-देना नहीं है.

चूल्हा अलग तो घर भी अलग: गणना में लगे अमित कुमार बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में ही घर में प्रगणक को दो-दो बार जाना पड़ रहा है. ट्रेनिंग के दौरान यह स्पष्ट बताया गया था कि मकान में रहने वाले परिवार की संख्या देनी है और हर परिवार से मतलब है अलग चूल्हा. मकान के अंदर एक रसोई यानी एक परिवार, दो रसोई तो दो परिवार, लेकिन गांवों में लोग एक रसोई पर भी चार-पांच परिवार बताकर लिखने के लिए अड़ जा रहे हैं. ऐसे में कई पर्यवेक्षक परेशान हैं. प्रगणक ने बताया कि गांवों में लोग कहते हैं कि अभी शादी नहीं हुई, इसलिए एक चूल्हा है. आगे शादी होगी तो चूल्हा भी बंटेगा.

प्रवेश द्वार एक तो माना जाएगा एक ही मकान: परिवार के साथ ही मकान की संख्या की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी हो रही है. नियम के अनुसार एक किसी मकान में एक ही प्रवेश द्वार है, तो वह एक ही मकान माना जाएगा. भले ही उस मकान के अंदर कितनी भी अलग-अलग रसोई क्यों नहीं हो. रिपोर्ट भरने में अलग रसोई बनने के कारण जब परिवार दो-तीन लिखाते हैं तो मकान भी अलग-अलग भर दिया जा रहा है.

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