विभागीय समीक्षा में मामला सामने आने पर जिलों को लगी फटकार
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मुजफ्फरपुर न्यूज़: राज्य सरकार ने प्रदेश की सभी 8057 पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से पंचायत सरकार भवन बनाने का निर्णय किया है. इसको लेकर पहले ही 3200 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन के निर्माण को स्वीकृति दी जा चुकी है. जिनमें से महज 1485 पंचायतों में निर्माण पूर्ण हुआ है और इन भवनों में पंचायत की सरकार के कामकाज संचालित हो रहे हैं. शेष भवनों के निर्माण कार्य जारी हैं.
इसबीच पिछले ही कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने 2000 और पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की न सिर्फ प्रशासनिक स्वीकृति पर अपनी मुहर लगाई है बल्कि इन्हें बनाने के लिए 4171 करोड़ रुपए खर्च पर भी मंजूरी दी है. बात 2023-24 की करें तो पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की योजना के क्रियान्वयन पर 340 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है. पंचायती राज विभाग और राज्य सरकार इस योजना को जल्द से जल्द जहां जमीन पर उतारने को लेकर प्रयत्नशील है, वहीं जिलों की सुस्ती पंचायत सरकार भवनों के निर्माण में उजागर हो रही है. पिछले दिनों विभाग के मंत्री मुरारी गौतम तथा अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह की मौजूदगी में इस योजना की समीक्षा हुई तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. करीब दर्जनभर जिले ऐसे हैं जिन्होंने पंचायत सरकार भवनों के निर्माण के लिए मिली राशि खर्च करने में कोई रुचि ही नहीं दिखाई है. कहीं मिली राशि के 90 फीसदी पड़े हैं तो कहीं करीब 96 फीसदी. विभाग ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया है.
साथ ही सभी जिला पंचायत राज पदाधिकारियों को टास्क सौंपा है कि इस मद में मिली राशि को जल्द खर्च करें. जाहिर है पंचायत सरकार भवनों के निर्माण कार्य को तेज कर ही राशि खर्च की जा सकती है.
सारण ने 5.67 राशि खर्च की: मार्च 2023 तक पंचायत भवन निर्माण के लिए योजना मद से मिली राशि मुंगेर एवं शेखपुरा जिलों द्वारा खर्च ही नहीं की गयी है. सारण ने 5.67 फीसदी, नवादा ने 6.96, दरभंगा ने 8.70, पूर्णिया ने 9.22, नवादा ने 14.29, गया ने 17.07 जबकि मधेपुरा जिले ने मिली राशि में से महज 17.69 प्रतिशत रुपए ही खर्च किये हैं. अकेले लखीसराय को छोड़कर शेष सभी जिलों में राशि खर्च करना शेष है.