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- चंद्रबाबू के NDA में...

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आंध्र प्रदेश की राजनीति में इस वक्त भारी उथल-पुथल है। राज्य में 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सभी दल अपनी-अपनी बिसात बिछाने में लगे हैं। बीते शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात ने सियासी हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
कहा जा रहा है कि पांच साल बाद भाजपा और टीडीपी फिर से साथ आ सकते हैं। क्या अमित शाह और चंद्रबाबू नायडू की ये मुलाकात अचानक हुई है? इससे पहले भी कब 2024 के लिए दोनों दलों के साथ आने की खबरें आईं थीं? चंद्रबाबू नायडू की पार्टी पहले कब-कब किन गठबंधनों के साथ रह चुकी है? आंध्र प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति क्या है? आइये जानते हैं… गृहमंत्री अमित शाह और आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार शाम मुलाकात की। नायडू के आवास पर हुई मीटिंग करीब एक घंटे चली, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके बाद से चर्चा है कि दोनों पार्टियां 2024 चुनाव एक साथ लड़ सकते हैं। हालांकि, पार्टी के नेताओं ने गठबंधन पर कुछ भी टिप्पणी करने से मना किया है।
2024 में दोनों दलों के साथ आने की चर्चा पहली बार नहीं हो रही है। बीते मार्च महीने से ही इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गईं थीं। दरअसल, मार्च में टीडीपी की एस. सेल्वी मंगलवार को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पोर्टब्लेयर नगर परिषद के अध्यक्ष चुनी गईं। सेल्वी भाजपा के समर्थन से अध्यक्ष बनीं। जो एक साल पहले हुए समझौते का अमल था।
तब 24 वार्डों वाले पोर्टब्लेयर भाजपा ने 10 सीटें जीतने वाली भाजपा ने किंगमेकर बनकर उभरी दो सीट जीतने वाली टीडीपी के समर्थन से परिषद पर कब्जा किया था। इस वजह से 11 सीट जीतकर भी कांग्रेस नगर परिषद अध्यक्ष पद से दूर रह गई थी। उस वक्त हुए समझौते के मुताबिक एक साल बाद भाजपा ने टीडीपी की सेल्वी को नगर परिषद अध्यक्ष की कुर्सी दे दी। सेल्वी अब दो साल तक इस पद पर रहेंगी।