लाइफ स्टाइल

महिलाएं, हर उम्र में रखें अपने खानपान का ख़्याल

Kiran
27 Jun 2023 12:55 PM GMT
महिलाएं, हर उम्र में रखें अपने खानपान का ख़्याल
x
उम्र के हिसाब से खानपान को लेकर हमारे शरीर की ज़रूरतें बदलती रहती हैं. इसलिए हम रोज़ाना जो न्यूट्रिशन और कैलोरी लेते हैं, उनमें भी बदलाव की ज़रूरत रहती है, ख़ासकर महिलाओं के न्यूट्रिशन में. हालांकि जब बच्चे (लड़के-लड़कियां) जन्म लेते हैं तब से लेकर युवावस्था तक उन्हें समान रूप से पोषण की ज़रूरत होती है, लेकिन जब वह युवावस्था में पहुंचते हैं, तो उनके खानपान और न्यूट्रिशन की ज़रूरतें अलग हो जाती हैं. वैसे तो बदलाव महिलाओं और पुरुषों दोनों में आता है, लेकिन महिलाओं के शरीर को अधिक बदलावों से गुज़रना पड़ता है, इसलिए महिलाओं के न्यूट्रिशन पैटर्न में पुरुषों की तुलना में अधिक बदलाव की ज़रूरत होती है.
उम्र के साथ पीरियड्स, डिलिवरी व मेनोपॉज़ के कारण महिलाओं के शरीर में बहुत सारा हार्मोनल बदलाव आता है और अगर इन सबके लिए वह बेहतर ढंग से तैयार नहीं रहती हैं, तो उन्हें एनीमिया, हड्डियों का कमज़ोर होना और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. यही कारण है कि महिलाओं को आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन डी और विटामिन बी 9 (फ़ॉलेट) जैसे पोषक तत्वों को अपने खानपान में अधिक से अधिक शामिल करने की ज़रूरत होती है.
अब सवाल उठता है कि महिलाओं को कौन-सी उम्र में किस तरह के खानपान पर अधिक ध्यान देना चाहिए, ताकि उन्हें ऊपर दी गई बीमारियों से बचने में मदद मिल सके. तो इस सवाल का जवाब नीचे है:
किशोरावस्था के दौरान
जब एक लड़की बाल्यावस्था से किशोरावस्था की उम्र में प्रवेश करती है, तो वह बायोलॉजिकल और सोशियो-इमोशनल डेवलपमेंट से होकर गुजरती हैं. उस समय लड़कियों में हॉर्मोनल चेंज एक सिरीज़ में होता है, जिसकी वजह से वे सेक्शुअली मैच्योर होती हैं. तेज़ी से हो रहे शारीरिक विकास के कारण शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं और इसलिए उन्हें इन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़्यादा एनर्जी की ज़रूरत होती है. उस समय अगर उन्हें सही न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता है, तो उनमें कम वज़न और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है. ऐसे में उन्हें प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थ देने की ज़रूरत होती है.
प्रोटीन
शरीर में प्रोटीन मांसपेशियों को बनाने और टिश्यू की मरम्मत करने का काम करता है.
स्रोत: पॉल्ट्री, मछली, अंडे, डेयरी प्रॉडक्ट जैसे दूध, दही और पनीर और दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत मानी जाती हैं.
कैल्शियम
कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है और जब लड़कियां अपने किशोरावस्था में होती है तो उनके स्केल्टेन के विकास के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है.
स्रोत: दूध, पनीर, और अन्य डेयरी प्रॉडक्ट, ब्रोकली, गोभी और भिंडी आदि.
आयरन
किशोरावस्था में आयरन की भरपूर मात्रा लेने से एनीमिया से बचा जा सकता है.
स्रोत: पशुओं से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में आयरन भरपूर मात्रा में मिलता है, ख़ासकर लाल मांस में. इसके अलावा चिकन, अंडे, मछली, पालक, और ब्रोकली भी आयरन के अच्छे स्रोत माने जाते हैं.
विटामिन ए
यह लड़कियों में एग डेवलपमेंट और आई हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
स्रोत: कॉड लिवर तेल, अंडे, संतरे, और पीली सब्ज़ियां और फलों में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
युवावस्था
इस फ़ेज में लड़कियों के वज़न बढ़ने और मोटापे से पीड़ित होने का सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है. हाल ही में किए गए एक रिसर्च में सामने आया है कि 60 प्रतिशत युवा सही मात्रा में फल और सब्ज़ियों का सेवन नहीं करते हैं और 41 प्रतिशत अनियमित रूप से खानपान के शिकार हैं. खानपान के इन आदतों और फ़ास्ट फ़ूड के चलन के कारण मोटापे की चपेट में आ जाते हैं. डायट में फ़ाइबर की कमी और हाई फ़ैट की वजह से मोटापा अधिक तेज़ी से बढ़ता है. इसलिए युवावस्था में लड़कियों को अपने खानपान में फ़ाइबर, कैल्शियम, आयरन और आयोडीन समृद्ध खानपान को शामिल करना चाहिए.
फ़ाइबर
फ़ाइबर मेटाबॉलिज़्म और पोषक तत्वों के एब्ज़ॉर्प्शन के लिए ज़रूरी होता है.
स्रोत: होल ग्रेन ब्रेड, ओट्स, जौ और राई, फल जैसे जामुन, नाशपाती, तरबूज, और संतरा. सब्जियों में ब्रोकली, गाजर, स्वीटकॉर्न, मटर, बीन्स और दालें आदि.
आयोडीन
अगर मां में आयोडीन की कमी होती है, तो पैदा होनेवाले बच्चों में भी आयोडीन की कमी हो सकती है. नवजात बच्चों में आयोडीन की कमी से हाइपोथायरॉयडिज़्म जैसी समस्याएं होने की समस्या होती है, इसलिए युवावस्था में लड़कियों को आयोडीन युक्त आहार लेना भी ज़रूरी होता है.
स्रोत: आयोडीन युक्त नमक, कॉड और टूना मछली, अंडे, झींगा आदि.
मेनोपॉज़ के बाद
50 साल की उम्र के बाद हर 3 महिला में से एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी से पीड़ित रहती है. इस बीमारी का कारण एस्ट्रोजन लेवल की कमी होती है. इसके साथ ही मसल्स लॉस होने लगती है और उम्र बढ़ने के साथ ही यह परेशानी और बढ़ती जाती है. इस उम्र की महिलाओं में मैक्यूलर डीजनरेशन के कारण देखने की क्षमता में भी कमी आने लगते लगती है. डायटरी ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स उम्र के चलते आनेवाली आंखों की समस्या को कम करने में मदद करते हैं. इसके अलावा भी महिलाओं को अपनी डायट में कैल्शियम, ऐंटी-ऑक्सिडेंट, प्रोटीन और फ़ैटी एसिड से भरपूर चीज़ों को ज़रूर शामिल करना चाहिए.
ऐंटी-ऑक्सिडेंट
ऐंटी-ऑक्सिडेंट एनर्जी बनाने में मदद करता है और फ्री रैडिकल्स से होनेवाले डैमेज से बचाता है.
स्रोत: क्रैनबेरी, लाल अंगूर, चेरी, नाशपाती, अमरूद, संतरे.
फ़ैटी एसिड
ओमेगा-3 जैसे फ़ैटी एसिड हार्ट, जॉइंट और आंखों के स्वस्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
स्रोत: सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्सी सीड्स, मछलियां (जैसे-सैल्मन, मैकेरल, हेरिंग, अल्बाकोर), अखरोट, एवोकाडो, चिया सीड्स आदि.
Next Story