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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नशा इंसान के शरीर के साथ-साथ उसके जीवन को भी नष्ट करने का काम करता है। ये एक ऐसा पदार्थ है जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला कर देता है। दुनियाभर में नशीली दवाओं का सेवन लोग करते हैं और इसकी संख्या हर दिन बढ़ रही है। लोगों में नशामुक्ति के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए 26 जून के दिन पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का इतिहास क्या है, इसका उद्देश्य क्या है और इस साल की थीम ( International Day Against Drug Abuse 2023 Theme) क्या है, चलिए आपको पूरी बातें विस्तार में बताते हैं।
7 सितंबर 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसे 26 जून को मनाने का तय हुआ और पहली बार 26 जून 1989 को ये दिन मनाया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य नशीली दवाओं के गैरकानूनी इस्तेमाल पर रोक लगाना था। इसमें अवैध तस्करी भी शामिल है और इसे दुनियाभर में फैलाकर लोगों के जीवन से खेला जाता है। युवाओं को नशे से मुक्त कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। आज के दौर में बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। इस वजह से ये दिन मनाना आवश्यक हो चुका है जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके।
अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का अभियान दुनियाभर में अलग-अलग संस्था के लोग चलाते हैं। इसमें लोगों को नशा से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया जाता है और उन्हें इसका परिणाम भी बताते हैं। भारत में भी नशा और अवैध तस्करी को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, फिर भी लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। बिना एक-दूसरे के सहयोग के ये संभव नहीं है इसलिए हर साल इस दिन को लेकर थीम बदली जाती है। अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस में इस साल की थीम ”कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम को मजबूत करें” है।
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