लाइफ स्टाइल

बढ़ती उम्र में भी कुछ लोगों की याददाश्त क्यों नहीं होती कम

Apurva Srivastav
1 May 2024 5:13 AM GMT
बढ़ती उम्र में भी कुछ लोगों की याददाश्त क्यों नहीं होती कम
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लाइफस्टाइल : उम्र बढ़ने के लक्षणों में सबसे कॉमन है याददाश्त कमजोर होना। जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, पुरानी बातें तो छोड़ दें लोग सुबह क्या खाए थे शाम तक ये भी भूल जाते हैं, लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। साइंटिस्ट पिछले एक दशक से ज्यादा समय से, ऐसे लोगों पर अध्ययन कर रहे हैं जिन्हें वे "सुपर-एजर्स" कहते हैं। इन व्यक्तियों की उम्र 80 साल या इससे ज्यादा है, लेकिन उनकी मेमोरी बिल्कुल 20 से 30 साल व्यक्ति जैसी है। शिकागो विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर एमिली रोजाल्स्की ने साल 2012 में सुपर-एजर्स पर पहला अध्ययन प्रकाशित किया था।
ये रिसर्च स्पेन के 119 वृद्ध लोगों पर किया गया था। जिसमें 64 सुपर एजर्स और 55 वृद्ध वयस्क शामिल थे। प्रतिभागियों ने मेमोरी, मोटर और मौखिक कौशल को लेकर कई तरह के टेस्ट हुए। मस्तिष्क का स्कैन कराया गया और उनके लाइफस्टाइल और बिहेवियर से जुड़े सवाल-जवाब किए गए।
वैज्ञानिकों ने पाया कि सुपर एजर्स के दिमाग में उस जगह ज्यादा वॉल्यूम था, जो मेमोरी के लिए जरूरी होता है। हालांकि सुपर एजर्स और दूसरे ग्रूप के दिमाग में अल्जाइमर्स के हल्के लक्षण भी देखने को मिले।
ये निष्कर्ष डॉ. रोजाल्स्की ने तब दिया था जब वह नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में थीं, जिसमें पता चला था कि सुपर-एजर्स का दिमाग 80 वर्षीय लोगों की तुलना में 50 या 60 वर्ष जितने लोगों जैसा था।
एक्सपर्ट्स को यह बिल्कुल भी आइडिया नहीं कि कोई व्यक्ति सुपर एजर्स कैसे बन जाता है, हालांकि स्पैनिश अध्ययन में दोनों समूहों के बीच हेल्थ और लाइफस्टाइल बिहेवियर को लेकर कुछ अंतर थे। जो खास था वो था सुपर-एजर्स का शारीरिक स्वास्थ्य, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज चयापचय...उनमें ये सारी चीजें बेहतर थीं।
शिकागो के कुछ सुपर-एजर्स के व्यवहार में भी काफी कुछ अलग देखने को मिला। जहां कुछ ने नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बताया, तो वहीं कुछ ने इसे अपनी लाइफस्टाइल से मिसिंग बताया। एक जो कॉमन चीज़ देखने को मिली इनमें वो थी कि उनके सोशल रिलेशनशिप मजबूत थे।
कुल मिलाकर साइंटिस्ट ने माना कि सुपर एजर्स बनने का कोई सीक्रेट मंत्र नहीं है। हेल्दी डाइट लेकर, फिजिकली एक्टिव रहकर, पर्याप्त नींद लेने और सोशल कनेक्शन बढ़ाने से बढ़ती उम्र में भी याददाश्त को दुरुस्त रखा जा सकता है।
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