लाइफ स्टाइल

कच्चा या पक्का कौन सा केला है बेहतर जाने

Apurva Srivastav
21 Feb 2023 3:28 PM GMT
कच्चा या पक्का कौन सा केला है बेहतर जाने
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कच्चे केले कब्ज की शिकायत को बढ़ा सकते हैं क्योंकि उनमें स्टार्च का स्तर बहुत ज्यादा होता है,
केले से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में होते हैं, जैसे केला खाने के नुकसान क्या होते हैं, केला खाने के फायदे और नुकसान, सुबह खाली पेट केला खाने के फायदे, रात में केला खाने के फायदे, वैसे केले से जुड़े लोगों को मन में कई सवाल होते हैं। और इन्हीं में एक और सवाल होता है जो बहुत पूछा जाता है कि कब्‍ज की शिकायत होने पर केला खाना चाह‍िए या नहीं। आइए जानते हैं इसे जुड़ा जवाब आमतौर पर एक बड़े केले में 110 से 120 कैलोरी होती है तो आपको अपनी डाइट और कैलोरी इनटेक पर नजर बना कर ही इसे लेना चाहिए! केले में तकरीबन 30 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स और एक ग्राम प्रोटीन भी मिल जाता है
केला कब्ज में देता है राहत
क्या आपने कभी सुना है कि केले खाने से भी आपके शरीर को नुकसान पहुंच सकता है? पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और एनर्जी से भरपूर ये फल भी आपके सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है? लेकिन ये सच है। एसिडिटी, डायरिया, ब्लड प्रेशर, कैंसर, सीने में दर्द, एनिमिया, अनिद्रा, दाद-खाज, डायबिटीज़ और अल्सर जैसी कई परेशानियों राहत देने वाला केला भी नुकसानदायक हो सकता हैं। अब तक आपने सुना होगा कि केला खाने से पेट अच्छे से साफ होता है, लेकिन आपको बता दें इसके सेवन से कब्ज का खतरा भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें मौजूद टैनिट एसिड पाचन तंत्र पर असर करता है। वहीं, अच्छे से पका हुआ केला कब्ज में राहत देता है।
कच्चा या पका केला, कौनसा है बेहतर
कच्चे केले कब्ज की शिकायत को बढ़ा सकते हैं क्योंकि उनमें स्टार्च का स्तर बहुत ज्यादा होता है, जो शरीर के लिए पचा पाना मुश्किल होता है इसलिए पका हुआ केला पाचन के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है, यही वजह है कि पका पीला केला लेना हमेशा बेहतर विकल्प माना जाता है। कच्चा केला आम तौर पर बच्चों में अतिसार या डायरिया में राहत दिलाने के काम लिया जाता है। जैसे ही केला पकता है उसमें मौजूद स्टार्च भी कम होता है और यह शुगर में बदल जाता है। पके हुए केले फाइबर से भरपूर होते हैं, तो यह कब्ज से राहत दिलाने में बेहतर साबित होते हैं। फाइबर पानी को ऑब्जर्व करता है जो मल त्याग को आसान बनाता
दोनों का ही महत्‍व है अलग-अलग
पके और कच्चे केले, दोनों का ही अपना अलग-अलग महत्व है। अतिसार या डायरिया (अग्रेज़ी: Diarrhea) की स्थिति में कच्चा केला सबसे अच्छा साबित होता है। वहीं कब्ज की स्थित में पका हुआ केला बेहतर होता है। तो अपनी जरूरत के हिसाब से केले को अपने आहार में शामिल करें।
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