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लाइफ स्टाइल
क्या है सस्टेनेबल डायट, जिसके बारे में हम सबको जानना चाहिए
Kajal Dubey
17 Jun 2023 12:11 PM GMT

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क्या है सस्टेनेबल डायट?
डायट का एक ऐसा रूप भी है, जो सिर्फ़ आपकी शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (यूएनएफ़एओ) ने डायट को परिभाषित करते हुए कहा है ‘सस्टेनेबल डायट वह है, जो पर्यावरण को कम-कम से प्रभावित करते हुए, मौजूदा और आनेवाली जनरेशन को पोषण से भरपूर खानपान दे सके. एक सस्टेनेबल डायट ऐसी होनी चाहिए, जो जैविक विविधता और धरती पर रहनेवाले अन्य सभी तरह के जीवों के लिए सही और अच्छी हो, परंपरा के अनुसार हो, सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो, पोषण से भरपूर हो और साथ ही प्रकृति व मानव दोनों के लिए उपयुक्त हो. यानी यह डायट न तो प्रकृति के संसाधनों को नुक़सान पहुंचाती हो और न ही मानव संसाधनों को.’
आख़िर क्यों इसके बारे में हो रही है बात?
पश्चिमी देशों ने महसूस किया है कि, उनकी मौजूदा डायट हाई कैलोरी, प्रोटीन और पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन्स पर आधारित है, जो तेज़ी से जलवायु परिवर्तन और स्थानीय खानपान की वस्तुओं की कमी को जन्म दे रही है. कुछ शोध और अध्ययनों के बाद यह बात सामने आई है कि, अगर अपनी पसंदीदा डायट में थोड़ा बहुत बदलाव किया जाए तो पर्यावरण संबंधी कुछ समस्याएं दूर की जा सकती हैं. उदाहरण के तौर पर एक अमेरिकी व्यक्ति मीट और डेयरी प्रॉडक्ट्स कम खाकर पर्यावरण में अपने हिस्से के कार्बन फ़ुटप्रिंट की मात्रा को आधा कर सकता है.
सस्टेनेबल डायट में क्या खाना चाहिए?
अपनी डायट में स्थानीय फल और सब्ज़ियों को अधिक मात्रा में शामिल करें. इससे ग्रीनहाउस गैस रिलीज़ की मात्रा कम होती है, जिससे कार्बन फ़ुटप्रिंट घटता है और पर्यावरण कम प्रभावित होता है.
ब्रेड, चावल और अनाज खा सकते हैं, क्योंकि ये कम मात्रा में ग्रीनहाउस गैस का रिलीज़ करते हैं.
मांस-मछली का कम सेवन करें. एक शोध से पता चला है कि मीट, अंडे और मछली की बढ़ती खपत से ग्रीनहाउस गैस का जमाव, नाइट्रोजन और फ़ॉस्फ़ोरस की साइकिल प्रभावित होती है, ताज़ा पानी की कमी और जैविक विविधता के नुक़सान को बढ़ावा मिल रहा है. इसके अलावा अधिकांश संक्रामक रोग जानवरों में उत्पन्न होकर हम तक पहुंचते हैं.
कम प्रोसेस्ड फ़ूड्स का इस्तेमाल करें, क्योंकि उन्हें बनाने में प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ता है और यही पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनते हैं. इनमें शक्कर, फ़ैट और नमक का लेवल भी काफ़ी हाई होता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुक़सानदेह है.
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