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ओसीडी एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के मन में एक ही तरह के विचार बार-बार आते हैं।
हमारी जीवनशैली का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। हमारा खानपान और रहन-सहन हमारे जीवन को काफी प्रभावित करता है। कामकाज के बढ़ते प्रेशर और कई चीजों के तनाव की वजह से इन दिनों मानसिक स्वास्थ्य काफी प्रभावित होने लगा है। भागदौड़ और व्यस्तता से भरे जीवन के चलते लोग लगातार कई मानसिक विकारों का शिकार हो रहे हैं। लेकिन कई बार इन विकारों की सही पहचान न होने की वजह से लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ऐसी ही एक मानसिक बीमारी है, जिससे इन दिनों कई लोग परेशान है।
बीते कुछ दिनों में आईआईटी संस्थानों से सामने आए आत्महत्या के मामलों ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बहस छेड़ दी है। आईआईटी बसर के आत्महत्या करने वाले छात्र ने एक नोट में यह बताया था कि वह लंबे समय से ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से परेशान था। ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि सामान्य सी दिखने वाली ओसीडी की समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षण को पहचान कर इसका उचित इलाज किया जाए।
क्या है ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर
ओसीडी एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के मन में एक ही तरह के विचार बार-बार आते हैं। खास बात यह है कि पीड़ित व्यक्ति को यह पता रहता है कि बार-बार एक ही चीज सोचने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह ऐसा करने से खुद को रोक नहीं पाता है। आमतौर पर किसी मजबूरी का शिकार लोग इस समस्या की चपेट में आ जाते हैं। यह समस्या ज्यादातर किशोरों या युवाओं में देखने को मिलती है। ज्यादा साफ-सफाई करना, चीजों को गिनना, बार-बार हाथ धोना आदि इस समस्या के मुख्य लक्षण हैं।
ओसीडी के लक्षण
अक्सर ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति के मन में बार-बार एक ही विचार आता है।
इस समस्या के होने पर आप डिप्रेशन या एंग्जाइटी के शिकार हो सकते हैं।
अगर आप अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं, तो ये भी ओसीडी के लक्षण हो सकते हैं।
ओसीडी से ग्रसित व्यक्ति अक्सर खुद के या दूसरों के हर्ट होने को लेकर चिंता में रहता है।
बार-बार आंख झपकना, सांस लेना या अन्य गतिविधियों को बार-बार करना भी ओसीडी के लक्षण हो सकते हैं।
कदमों या किसी भी चीज को बार-बार गिनने की आदत भी ओसीडी हो सकती है।
हर समय चीजों को लेकर चिंतित रहना जैसे गैस खुली रह गई, दरवाजा खुला रह गया या दरवाजा बंद हो गया आदि।
ओसीडी का इलाज
ओसीडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अपनी डाइट में जरूरी बदलाव करते हुए इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
ओसीडी पीड़ित व्यक्ति को अपनी डाइट में जरूरी विटामिन और मिनरल शामिल करना चाहिए।
डिप्रेशन बढ़ाने वाले कारक जैसे फोन या स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आदि से बचना चाहिए।
ओसीडी के समस्या सिरोटोनिन हार्मोन की कमी से होती है। ऐसे में इसे बढ़ाने के लिए दवा लेनी चाहिए।
ओसीडी को कंट्रोल करने के लिए बीहेवियरल थैरेपी और टॉक थैरेपी की मदद ले सकते हैं।
पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन और फाइबर रिच डाइट भी फायदेमंद साबित होगी।
लक्षणों की पहचान होने पर तुरंत संबंधित चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
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Apurva Srivastav
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