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अक्सर विटामिन डी को हड्डियों की सेहत से जोड़कर देखा जाता है, मगर इसकी कमी दिल के लिए भी खतरनाक है। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय की तरफ से किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है। अध्ययन के निष्कर्ष यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्सर विटामिन डी को हड्डियों की सेहत से जोड़कर देखा जाता है, मगर इसकी कमी दिल के लिए भी खतरनाक है। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय की तरफ से किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है। अध्ययन के निष्कर्ष यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
आनुवांशिक प्रमाण की पहचान
यूएनआईएस के ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर प्रिसिजन हेल्थ के शोधकर्ताओं ने पहली बार विटामिन डी की कमी की वजह से दिल की बीमारी के पीछे के आनवांशिक प्रमाण की पहचान की है। अध्ययन से पता चला है कि विटामिन डी की कमी वाले लोगों में विटामिन डी के सामान्य स्तर वाले लोगों की तुलना में हृदय रोग और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक विश्व स्तर पर दिल की बीमारी (सीवीडी) दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। इस वजह से प्रति वर्ष अनुमानित 1.79 करोड़ लोगों की जान जाती है। ऑस्ट्रेलिया में प्रत्येक चार में से एक मौत के लिए सीवीडी जिम्मेदार है।
अमेरिका में 24 फीसदी लोगों में कमी
दुनिया के कई हिस्सों में लोगों में विटामिन डी की कमी आम है। यूके बायोबैंक के आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में 23 फीसदी लोगों में विटामिन डी की कमी है। अमेरिका में 24 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी है। वहीं कनाडा में करीब 37 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी का निम्न स्तर दर्ज किया गया है।
भोजन से भी पूर्ति करना संभव
मुख्य शोधकर्ता एलिना हाइपोनन के अनुसार विटामिन डी की कमी वाले व्यक्तियों में विटामिन डी का स्तर कम से कम 50 एनएमओएल / एल से बढ़ाने पर हम अनुमान लगाते हैं कि दिल की बीमारियों में 4.4 फीसदी तक की कमी की जा सकती है। हम भोजन से भी विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें मछली, अंडे जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। हालांकि खाद्य पदार्थ दुर्भाग्य से विटामिन डी का अपेक्षाकृत खराब स्रोत है। हमें सूर्य के जरिए विटामिन डी लेना चाहिए।
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