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Life Style लाइफ स्टाइल: तकनीक के विकास के साथ-साथ आजकल बच्चों का भी ज्यादातर समय फोन या टीवी की स्क्रीन के सामने ही बीतता है। इसकी वजह से बच्चों की आंखों पर ही नहीं बल्कि पूरी सेहत पर असर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि आप उनकी स्क्रीन टाइम का ध्यान रखें। आइए जानते हैं कैसे जयादा स्क्रीन टाइम बच्चों की सेहत को नुकसान (Harms of Excess Screen Time) पहुंचा सकता है। लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Harms of Excess Screen Time: हमारे हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा अक्सर ये बताया जाता है कि बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सीमित होना चाहिए, क्योंकि ये उनके विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। ऐसी भी संभावना रहती है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम उन्हें आक्रामक, आलसी और सुस्त बना सकता है, लेकिन देखा जाए तो स्क्रीन हर बच्चों को लुभाती है और कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित भी करती है। इसलिए तकनीकी विकास के इस दौर में इसका ज्ञान भी बच्चों को होना बेहद जरूरी है, लेकिन कई बार इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों को इसकी आदत लग जाती है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है। तो आइए जानते हैं, बच्चों पर अत्यधिक स्क्रीन टाइम के पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में। शारीरिक गतिविधियों में कमी और मोटापे का बढ़ना- ज्यादा समय तक स्क्रीन पर समय बिताने की वजह से बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में कमी आती है। वे बाहर किसी पार्क में खेलने की जगह ज्यादातर सोफे या बेड पर समय बिताते हैं और उनकी आंखें स्क्रीन पर टंगी रहती हैं। इसके कारण उनमें मोटापे की समस्या पैदा होने लगती हैं, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है। नींद से जुड़ी परेशानियां- लंबे समय तक स्क्रीन पर देखते रहना, खासकर सोने से पहले स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों की नींद का पैटर्न खराब होने लगता है। ऐसा स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट की वजह से होता है। ये मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को कम कर देता है, क्योंकि मेलाटोनिन हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है। एंजाइटी और डिप्रेशन- ज्यादातर समय स्क्रीन को देखते रहने की वजह से बच्चों में सहयोग, सहानुभूति जैसे नैतिक मूल्यों में कमी आ सकती है और वे अकेला रहना पसंद करते हैं। जिसके कारण वो एंजाइटी या डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। आंखें खराब होने लगती हैं- देर तक स्क्रीन पर देखने की वजह से बच्चों की आंखों में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। जिनमें आंखों से पानी आना, कम दिखाई पड़ना जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। संज्ञानात्मक विकास में कमी आती है- बच्चों के 18 माह से 3 वर्ष तक की अवस्था में भाषा का विकास तेजी से होता है। आमतौर पर, इस उम्र में बच्चे अपने परिजनों के साथ खेल-खेल में बोलना सीख जाते हैं। इसके साथ ही 4 वर्ष के बाद से बच्चों में साक्षरता आदि का विकास भी हो जाता है। लेकिन जो बच्चे स्क्रीन पर बने रहते हैं उनमें इस तरह की संज्ञानात्मक विकास में देरी आ सकती है।
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