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कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने के लिए दिनचर्या में शामिल करें ये 6 योगासन

Kajal Dubey
1 Aug 2023 11:01 AM GMT
कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने के लिए दिनचर्या में शामिल करें ये 6 योगासन
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हर भारतीय घर में काली मिर्च का इस्तेमाल तो होता ही हैं जिसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीओबेसिटी और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सेहत को फायदा पहुंचाने का काम करते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर काली मिर्च इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ ही कई बीमारियों को दूर करती हैं। इसी के चलते कई लोग इसका बहुत अधिक सेवन करने लगे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि काली मिर्च का अधिक सेवन कई समस्याएं पैदा कर सकता हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं, ज़रूरत से ज्यादा काली मिर्च खाने से सेहत को क्या नुकसान पहुंच सकते हैं।
बढ़ सकती है गैस की समस्या
स्टाइलक्रेज के मुताबिक, ज्यादा काली मिर्च खाने से गैस्ट्रिक म्यूकोसल की समस्या बढ़ सकती है। इसके सेवन के बाद गले और पेट में जलन की शिकायत हो सकती है। इसके आलवा कब्ज, डायरिया की भी परेशानी हो सकती है। काली मीर्च की तासीर काफी गरम होती है। अगर पित्त की समस्या है तो काली मिर्च से पहरेज करना चाहिए।
अल्सर की समस्या
काली मिर्च तासीर में गर्म होती है और वहीं ये स्वाद में भी बहुत ही ज्यादा तीखी होती है,ऐसे में यदि आपको पेट से जुड़ी कोई भी समस्या रहती है तो इसके सेवन को आपको अवॉयड करना चाहिए। इसका सेवन यदि ज्यादा मात्रा में कर लिया जाये तो आपको पेट से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अल्सर वाले व्यक्तियों को वहीं ज्यादा मसाले युक्त भोजन को भी अवॉयड करना चाहिए।
प्रेगनेंसी में खतरा
प्रेगनेंसी के दौरान गरम तासीर की चीजें खाने से पहरेज करना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान काली मिर्च का सेवन काफी कम मात्रा में करना चाहिए। अगर बच्चे को फीड कराती हैं, तो काली मिर्च बिलकुल भी नहीं खानी चाहिए। इससे बच्चे के पेट में जलन हो सकती है। साथ ही गर्मी का मौसम है तो भी काली मिर्च से पहरेज करें।
फर्टिलिटी हो सकती है कम
काली मिर्च का ज्यादा सेवन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को काफी प्रभावित कर सकती है। अगर पुरुष जरूरत से ज्यादा काली मिर्च का सेवन करते हैं तो उनके यौगिक गुणों को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
सांस से जुड़ी समस्याएं
यदि आप काली मिर्च का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो इससे साँस से जुड़ी अनेकों दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इसका जरूरत से ज्यादा मात्रा में सेवन रेस्पिरेट्री समस्याओं को बढ़ाने का काम करता है। काली मिर्च पाउडर के ज्यादा मात्रा में सेवन से ये आपके स्वास से जुड़ी दिक्कतों को खड़ी कर सकता है। इसलिए आपको इसका जरूरत से ज्यादा सेवन को अवॉयड करना चाहिए।
छींक की समस्याएं
अकोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के अन्दर बनने वाली फैट होती हैं जो कि दो तरह की होती हैं गुड कोलेस्ट्रॉल और दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने लगती हैं जो खून के परिसंचरण में परेशानी का कारण बनते हैं। कोलेस्ट्रॉल की वजह से आपको ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर की समस्या का खतरा रहता है। इन समस्याओं से उभरने और कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने के लिए योग का अभ्यास बहुत उपयोगी है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने में मददगार साबित होंगे। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...
चक्रासन
चक्रासन एक मध्यम श्रेणी का योगासन है जिसका नियमित अभ्यास शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। चक्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले जमीन पर लेट जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर मजबूती से रखे हों। अपनी हथेलियों को अपने कानों के बगल में रखें, उँगलियाँ आगे की ओर। श्वास लें, अपनी हथेलियों और पैरों पर दबाव डालें और अपने पूरे शरीर को ऊपर उठाएं। अपने सिर को धीरे से पीछे गिरने दें और अपनी गर्दन को आराम से रखें। शरीर के वजन को अपने चार अंगों के बीच समान रूप से वितरित रखें।
पश्चिमोत्तासन
कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग की सूची में पश्चिमोत्तासन का नाम भी शामिल है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, मोटापा के कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है और पश्चिमोत्तासन करने से मोटापा नियंत्रित हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले जमीन पर पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त घुटने सीधे रहें और पैर आपस में सटे हों। सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे झुकें और हाथों से पैरों के अंगुठों को पकड़ने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि घुटने मुड़ें नहीं। अब कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहने का प्रयास करें और धीरे-धीरे सांस लेते रहें। इसके बाद एक गहरी सांस लेते हुए सीधे हो जाएं।
सर्वांगासन
सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में फायदा मिलता है। इसके लिए लिए सबसे पहले पीठ के बल लेटें। इसके बाद दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखें। अब अपने पैरों को जमीन से ऊपर की तरफ उठायें और सीधा करें। इसके बाद अपने पेल्विक को जमीन से ऊपर की तरफ उठाएं। कंधे, सिर, पेल्विक और पैरों को एक सीधी रेखा में रखें। शोल्डर यानी कंधे के सहारे उल्टा जमीन पर खड़े होने की मुद्रा में रहें।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
अगर किसी का कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा हुआ है, तो हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए योग का भी सहारा ले सकते हैं। चयापचय दर बेहतर होने से नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए, बाईं एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें। ध्यान रहे कि इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। अब बाईं बाजू को दाएं घुटने के बाहर रखते हुए दाएं टखने को पकड़ने का प्रयास करें। फिर गर्दन और कमर को दाहिनी ओर घुमाएं। कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में बने रहें। बाद में इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं।
वज्रासन
वज्रासन का अभ्यास सेहत के लिए बहुत उपयोगी होता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए इस तरीके से वज्रासन का अभ्यास करें। इसके लिए सबसे पहले दण्डासन की मुद्रा में बैठें। अब अपने हाथों को अपने कूल्हों के पास रखें। अब अपने दांए पैर को मोड़ें और दाएं कूल्हे के नीचे रखें और फिर अपना बांया पैर मोड़कर बांए कुल्हे के नीचे रखें। सुनिश्चित करें कि आपकी जांघे सटी हुई हों और आपके अंगूठे आपस में जुड़े हुए हों। अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें। सुनिश्चित करें कि आपकी ठोड़ी आपके समानान्तर हो। अपना मेरूदंड सीधा रखें और शरीर को ढीला छोड़ें। अब सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें। और कुछ देर तक आराम से रहें।
शलभासन
शलभासन कोलेस्ट्रॉल को कम करने और संतुलित रखने के लिए बहुत फायदेमंद योगासन है। इसके लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को सीधा रखें और अपने पैर के पंजों को बाहर की ओर फैलाएं। अब अपने दोनों हाथों से मुट्ठी बनाकर जांघों के नीचे दबा लें। फिर सिर और मुंह को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। अब गहरी सांस लेते हुए दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि घुटनों को न मोड़ें। जितना संभव हो पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ले जाएं। जब तक संभव हो इसी स्थिति में बने रहने का प्रयास करें। समय पूरा होने पर धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे लाते हुई अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं। इस अभ्यास को एक बार में करीब तीन से चार बार दोहराएं।
बढ़ सकती हैं त्वचा से जुड़ी समस्याएं
काली मिर्च की बात करें तो ये तासीर में बहुत ही ज्यादा गर्म होती है, ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसका सेवन आपके पेट में दिक्कतों को बढ़ा सकता है। साथ ही साथ इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से आपको जलन व खुजली की समस्या भी हो सकती है। काली मिर्च का ज्यादा सेवन आपके शरीर में गर्मी बढ़ाता है जिसका सीधा असर आपके त्वचा के ऊपर पड़ता है। इसलिए आपको इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से बचना चाहिए
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