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आधुनिक समय में सेहतमंद रहना बेहद जरूरी है। खासकर कोरोना वायरस के नए-नए वैरिएंट से बचाव के लिए सेहत पर विशेष ध्यान दें।
आधुनिक समय में सेहतमंद रहना बेहद जरूरी है। खासकर कोरोना वायरस के नए-नए वैरिएंट से बचाव के लिए सेहत पर विशेष ध्यान दें। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस से मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप और ह्रदय संबंधी मरीजों को अधिक खतरा रहता है। इसके लिए ह्रदय को सेहतमंद जरूर रखें। अगर आप भी कोरोना काल में हृदय को सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो रोजाना ये 3 योगासन जरूर करें। आइए जानते हैं-
ताड़ासन क्या है
ताड़ासन संस्कृत के दो शब्द ताड़ अर्थात पर्वत और आसन अर्थात बैठने की मुद्रा को मिलाकर बना है। ये एक सरल आसन है, जिसे करना बेहद आसान है। इस योग को करने से शरीर में रक्त संचार सही से होता है। इससे ह्रदय भी स्वस्थ रहता है।
कैसे करें ताड़ासन
इसके लिए सूर्य की तरफ मुखकर प्राणायाम मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को हवा में लहराकर नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। इस क्रम में ध्यान रखें कि आप घुटनों को हवा में लहराते हुए पंजों पर खड़े हो जाएं, और पैरों की एड़ियां एक दूसरी से मिली रहे। अब कुछ पल रुकने के बाद पुनः पहली अवस्था में आ जाएं। रोजाना ताड़ासन को कम से कम 10 बार जरूर करें।
वृक्षासन क्या है
वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बना है। वृक्ष अर्थात पेड़ और आसन अर्थात मुद्रा-वृक्ष की मुद्रा में खड़ा रहना वृक्षासन कहलाता है। इस योग को ध्यान योग भी कहा जाता है। इसे करने से हदृय सेहतमंद रहता है।
कैसे करें वृक्षासन
इसके लिए सूर्य की दिशा में मुखकर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाए। अब दोनों हाथों को हवा में लहराकर ऊपर ले जाएं और बाएं पैर को दाहिने जांघ पर रखें। इसके बाद सूर्य को साक्षी मानकर वृक्ष मुद्रा में खड़े हो जाए। जब तक आप अपने शरीर को नियंत्रित कर सकते हैं। उतने समय तक इस योग को करें। फिर पहली पोजीशन में आ जाए। इसे रोजाना 10 बार जरूर करें।
क्या है भुजंगासन
भुजंगासन दो शब्दों भुजंग और आसन से मिलकर बना है। वहीं, अंग्रेजी में इस आसन को कोबरा पोज़ कहते हैं। इस योग में सांप की तरह अपने धड़ को आगे की दिशा में उठाकर रखना होता है। इस योग को करने से ह्रदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
कैसे करें भुजंगासन
इसके लिए पेट के बल लेट जाएं और थोड़ी देर आराम करें। अब पुश अप मुद्रा में आकर शरीर के अगले हिस्से को उठाएं। इस आसान को अपने धड़ को आगे की दिशा में उठाकर रखना होता है। इस मुद्रा में अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार रहें। फिर पहली अवस्था में आ जाएं।
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