लाइफ स्टाइल

शादी मे शारीरिक खूबसूरती के कारण चुना जाता है ये पत्नी

Kajal Dubey
10 Feb 2021 4:10 PM GMT
शादी मे शारीरिक खूबसूरती के कारण चुना जाता है ये पत्नी
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शादी ऐसा रिश्ता है, जिसमें दो लोग जिंदगीभर साथ रहने का वादा निभाते हैं। ये रिश्ता प्यार, स्नेह, विश्वास, सम्मान जैसी बुनियादों पर टिका होता है।

शादी ऐसा रिश्ता है, जिसमें दो लोग जिंदगीभर साथ रहने का वादा निभाते हैं। ये रिश्ता प्यार, स्नेह, विश्वास, सम्मान जैसी बुनियादों पर टिका होता है। कोई लव मैरिज करता है, तो कोई अपने माता-पिता की पसंद से। लेकिन एक ऐसी शादी भी है, जिसे ज्यादातर शो ऑफ से जोड़ा जाता है। इस मैरिज में पत्नी को उसके गुण या नेचर के कारण नहीं, बल्कि शारीरिक खूबसूरती के कारण चुना जाता है। इसके लिए जो शब्द इस्तेमाल होता है, उसका इस्तेमाल वेस्टर्न देशों में आम है।

'ट्रॉफी वाइफ'
ट्रॉफी वाइफ, इस शब्द का आमतौर पर इस्तेमाल उन कपल्स के लिए किया जाता है, जिसमें पुरुष की उम्र ज्यादा हो लेकिन उसकी पत्नी यंग हो और जिसे मुख्य तौर पर सिर्फ अपीयरेंस के कारण जीवनसाथी बनाया गया हो। ये टर्म जिन महिलाओं के लिए इस्तेमाल होता है, उनके लिए आम राय ये होती है कि इनके पास शारीरिक आकर्षण के इतर कोई व्यक्तिगत योग्यता नहीं है।
दूसरी, तीसरी पत्नी
ट्रॉफी वाइफ आमतौर पर किसी शख्स की दूसरी या तीसरी पत्नी होती है, जिसे शख्स ने इसलिए चुना होता है ताकि वह दिखा सके कि उसकी कितनी सुंदर वाइफ है। इसे मर्द यह दिखाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं कि उम्र बढ़ जाने पर भी उनका आकर्षण कम नहीं हुआ है।
वहीं कुछ इसे अपनी सेक्शुअल पावर से भी जोड़ते हैं। इस तरह के रिश्ते में पत्नी का रोल बस पति को संतुष्ट करना और लोगों के सामने बेहद खूबसूरत लुक में साथी के संग खड़े रहना है। यह बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसे कोई अपनी ट्रॉफी को शो ऑफ करता है।
इमोशन्स नहीं, शो ऑफ पर टिका होता है रिश्ते
इस तरह के रिश्तों में आम ट्रेंड ये है कि इसमें पति की उम्र ज्यादा होती है और वह काफी रिच होता है व उसका अपनी पत्नी से इमोशनल अटैचमेंट न के बराबर होता है। आमतौर पर इस रिलेशनशिप में वाइफ को हमेशा अपनी सुंदरता और लुक्स को खूबसूरत बनाकर रखना होता है, इसका खर्चा भी पति के जरिए उठाया जाता है। ट्रॉफी वाइफ को लेकर आम राय ये है कि उन्होंने शादी ही सिर्फ दौलत देखकर की होती है।
बेहद अपमानजनक है शब्द
ट्रॉफी वाइफ को बेहद अपमानजनक टर्म माना जाता है, क्योंकि यह महिला के आत्म-सम्मान को शून्य कर देता है। यह समाज की नजरों में उसे किसी वस्तु की तरह पेश करता है, जिसे सिर्फ दिखाने के लिए खरीदा गया हो। जिनके लिए यह टर्म यूज होता है, उन महिलाओं को इमोशनल और मेंटल स्तर पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही में इन्हें समाज भी सम्मान की नजरों से नहीं देखता है।


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