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कोरोना के जोखिम को 44 फीसद तक कम कर देता है ये दवा, COVID-19 के मरीजों के इलाज में मददगार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक नए शोध से पता चला है कि दिल की बीमारी से बचने के लिए एस्पिरिन लेने वाले कोरोना रोगियों में मौत का जोखिम बहुत कम होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन (UMSOM) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती ऐसे कोरोना मरीज जो दिल की बीमारी से बचने के लिए एस्पिरिन ले रहे थे, उन्हें आइसीयू में रखे जाने की जरूरत बहुत कम पड़ी।
एस्पिरिन एक किफायती और आसानी से मिलने वाली दवा
एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि एस्पिरिन एक किफायती और आसानी से मिलने वाली दवा है जो कोरोना की गंभीर दिक्कतों को रोकने में मदद कर सकता है। यूएमएसओएम में एनेस्थिसियोलॉजी के सहायक प्रोफेसर जोनाथन चाउ ने कहा कि एक महत्वपूर्ण खोज है, जिसे रैंडम क्लीनिकल ट्रायल के जरिये पुष्टि किए जाने की आवश्यकता है। अगर हमारी खोज की पुष्टि हो जाती है तो एस्पिरिन का प्रयोग करके कोरोना रोगियों की मृत्युदर में कमी लाई जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह कोरोना के इलाज में ओवर द काउंटर (जिसके लिए डॉक्टर के पर्च की जरूरत नहीं होगी) उपलब्ध होने वाली पहली दवा होगी।
वेंटीलेटर पर रखे जाने के जोखिम को 44 फीसद तक करता है कम
शोध के लिए डॉ. चाउ और उनके सहयोगियों ने औसतन 55 वर्ष की आयु के 412 कोरोना रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का अध्ययन किया। ये सभी ऐसे मरीज थे, जिन्हें पिछले कुछ महीनों के दौरान अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इन मरीजों में से लगभग एक चौथाई मरीज दिल की बीमारी से बचने के लिए एस्पिरिन ले रहे थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि एस्पि्रन का उपयोग मैकेनिकल वेंटीलेटर पर रखे जाने के जोखिम को 44 फीसद तक कम करता है। कोरोना रोगियों को आइसीयू में भर्ती कराने के जोखिम को 43 फीसद तक कम करता है।