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जोड़ों के दर्द में राहत दिलाती हैं ये 7 जड़ी-बूटी, घर में आसानी से होती है उपलब्ध
Kajal Dubey
20 Jun 2023 3:54 PM GMT
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अक्सर देखा जाता हैं कि उम्र बढ़ने के साथ ही जोड़ों में समस्या आने लगती हैं और दर्द उठने लगता हैं। लेकिन आजकल युवाओं में भी यह परेशानी आम हो चली हैं। जोड़ों में दर्द की यह समस्या कई कारणों की वजह से हो सकती हैं। कई बार यह बढ़ते हुए इतनी तकलीफदेह हो जाती हैं कि खड़ा रहना, हिलना-ढुलना भी मुश्किल हो जाता हैं। ऐसे में कई लोग दवाइयों का सेवन करने लग जाते हैं जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक साबित होती हैं। ऐसे में आप आयुर्वेद की मदद ले सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी जड़ी-बूटी के बारे में बताने जा रहे हैं घर में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं और जोड़ों के दर्द में राहत दिलाती हैं। तो आइये जानते हैं इन जड़ी-बूटी के बारे में...
अदरक
अदरक का इस्तेमाल कई तरह की परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद यौगिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि अदरक का इस्तेमाल नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स के रूप में किया जा सकता है। लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा में अदरक का इस्तेमाल मतली की परेशानी को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके इस्तेमाल ऑस्टियोआर्थराइटिस, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
नीलगिरी तेल
नीलगिरी के पत्तों से प्राप्त तेल में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। इसके अलावा नीलगिरी के पत्तों में फ्लेवोनोइड्स और टैनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करने की क्षमता रखते हैं। रिसर्च में बताया गया है कि नीलगिरी के पत्तों से प्राप्त अर्क में एंटी-इंफ्लेमेटरी का गुण होता है, जो सूजन को काफी हद तक कम करने में असरदार होता है। इससे जोड़ों के दर्द को भी दूर किया जा सकता है। नीलगिरी के तेल के इस्तेमाल से आप जोड़ों के दर्द से काफी हद तक राहत पा सकते हैं। इसके अलावा यह एलर्जी की वजह से होने वाली परेशानियों को भी दूर करने में असरदार होता है।
लोबान
जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए आप लोबान का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लोबान मार्केट में अर्क या फिर तेल के रूप में आपको आसानी से मिल सकता हैं। इसमें सूजन को कम करने का गुण होता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, लोबान में एंटी-इंफ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है, जो गठिया के लक्षणों को दूर करने में असरदार हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि लोबान से अर्थराइटिस का इलाज नहीं होता है, इससे बस कुछ हद तक अर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने की कोशिश की जा सकती है। एक्सपर्ट के सलाह पर आप लोबान का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बोरेज तेल
इसके फूलों के बीज ओमेगा-6 फैटी एसिड भरपूर रूप से होता है। इसे गामा-लिनोलेनिक एसिड भी कहा जाता है। इसके अलावा इसमें लिनोलेनिक एसिड भी भरपूर रूप से मौजूद होता है, जो जोड़ों के दर्द को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। स्टडी के मुताबिक, जीएलए से युक्त तेल के इस्तेमाल से जोड़ों के दर्द से राहत पाया जा सकता है। यह रूमेटाइड गठिया से प्रभावित रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। हालांकि, ध्यान रखें कि जीएलए की अधिक मात्रा कोशिकाओं पर विषाक्त प्रभाव भी डाल सकती है।
हल्दी
लगभग हर भारतीय किचन में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जोड़ों में दर्द को दूर करने के लिए यह एक बेहतर जड़ी-बूटी साबित हो सकती है। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन यौगिक मौजूद होता है, जो रुमेटाइड गठिया की वजह से हुए सूजन को कम करने में मददगार हो सकती है। रिसर्च के मुताबिक, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन जोड़ों के दर्द को सुधारने में असरदार साबित हो सकती है।
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