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कैफीन के बारे में ये 6 आम मिथक और तथ्य, जरूर जानना चाहिए

Shiddhant Shriwas
28 Aug 2021 1:17 PM GMT
कैफीन के बारे में ये 6 आम मिथक और तथ्य, जरूर जानना चाहिए
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कैफीन के बारे में बहुत सारी गलतफहमियां लोगों के मन में काफी समय से चली आ रही हैं. इसके बारे में कोई भी गलत धारणा बनाने से पहले आपको इसके बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कैफीन एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ है जो दुनिया भर में 63 से ज्यादा पौधों की प्रजातियों के पत्तों, बीजों और फलों में पाया जाता है. चाय, कॉफी और कुछ कोल्ड ड्रिंक्स जैसे कैफीन प्रोडक्ट्स का लोग नियमित रूप से आनंद लेते हैं. कैफीन के हाई लेवल वाले ड्रिंक्स को एनर्जी ड्रिंक के रूप में लेबल किया जाता है.

कैफीन अस्थायी रूप से थकान को कम करने के लिए एक उत्तेजक के रूप में कार्य करता है, जिससे अतिसंवेदनशील लोगों में अनिद्रा भी हो सकती है. कैफीन को हल्के डाइयुरेटिक के रूप में कार्य करने के लिए दिखाया गया है, जिसका मतलब है कि ये आपके पानी के वजन को कम करता है.

कैफीन पर कई एक्सटेंसिव स्टडीज के बावजूद, इस फूड कंपोनेंट के बारे में कई मिसकंसेप्शन हैं. यहां हम आपको कैफीन के बारे में छह सबसे आम मिथक बताते हैं जिन पर आपको विश्वास करना बंद कर देना चाहिए.

मिथक : कैफीन के प्रभाव अडिक्टिव होते हैं

तथ्य : आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि वो कैफीन के आदी हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, स्वीकृत परिभाषाओं के अनुसार, कैफीन अडिक्टिव नहीं है. जब कैफीन का सेवन अचानक बंद कर दिया जाता है, तो कुछ लोगों को सिरदर्द, थकान और सुस्ती का अनुभव हो सकता है. ये लक्षण आमतौर पर ज्यादातर एक दिन तक रहते हैं और कैफीन का सेवन धीरे-धीरे कम करके आसानी से मैनेज किया जा सकता है.

मिथक : कैफीन से हार्ट फैल्योर का खतरा बढ़ जाता है

तथ्य : कई लार्ज स्केल स्टडीज से पता चला है कि कैफीन के सेवन से हृदय रोग का खतरा नहीं बढ़ता है और कोलेस्ट्रॉल या दिल की धड़कन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. ब्लडप्रेशर में मामूली बढ़ोत्तरी को उन लोगों में कैफीन की खपत से जोड़ा गया है जो इसके प्रति संवेदनशील हैं.

हालांकि, ये बढ़ोत्तरी सीढ़ियों पर चढ़ने जैसी सामान्य गतिविधि के परिणामस्वरूप हुई वृद्धि के समान है. फिर भी, हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित लोगों को अपने कैफीन सेवन के बारे में अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.

मिथक : कैफीन कैंसर की वजह बन सकता है

तथ्य : इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि कैफीन से कैंसर का खतरा नहीं बढ़ता है. नॉर्वे और हवाई में 20, 000 से ज्यादा लोगों समेत बड़े पैमाने पर किए गए दो स्टडीज में नियमित कॉफी की खपत/चाय के सेवन और कैंसर के जोखिम के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया.

मिथक : कैफीन ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है

तथ्य : ऐसे स्टडीज हैं जो बताते हैं कि कैफीन का सेवन यूरिन में कैल्शियम की कमी को बढ़ा सकता है. हालांकि, कोई भी नुकसान न्यूनतम पाया गया है और सीमित मात्रा में कैफीन होने से कैल्शियम संतुलन या बोन डेंसिटी प्रभावित नहीं होता है. ज्यादा से ज्यादा स्टडीज ने पुष्टि की है कि कैफीन का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस के लिए जोखिम कारक नहीं है.

मिथक : गर्भधारण करने की कोशिश कर रही महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए

तथ्य : स्टडीज ने रिप्रोडक्टिव फैक्टर्स पर कैफीन-कंटेनिंग बेवरेजेज के प्रभावों को करीब से देखा है. स्टडीज से पता चलता है कि एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे के लिए मध्यम कैफीन का सेवन सुरक्षित है. कैफीन के सेवन और गर्भ धारण करने की क्षमता के बीच कोई संबंध खोजने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है.

संयुक्त राज्य अमेरिका में किए गए दो प्रमुख स्टडीज में कैफीन की खपत और गर्भावस्था के रिजल्ट या जन्म दोषों के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है।. गर्भवती महिलाओं के लिए कम मात्रा में कैफीन का सेवन करना बुद्धिमानी है (प्रति दिन 300mg या उससे कम).

मिथक : कैफीन बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है

तथ्य : बच्चों के शरीर में वयस्कों की तरह ही कैफीन को प्रोसेस करने की क्षमता होती है. स्टडीज से पता चला है कि कम मात्रा में सेवन करने पर कैफीन वाले फूड्स और ड्रिंक्स का बच्चों के अटेंशन स्पैन या हाई ब्लडप्रेशर पर कोई पता लगाने योग्य प्रभाव नहीं पड़ता है. हालांकि संवेदनशील बच्चों में, कैफीन की हाई डोज चिड़चिड़ापन, उत्तेजना या चिंता जैसे अस्थायी प्रभाव पैदा कर सकती है.

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