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हार्ट अटैक के खतरे होंगे दूर, अर्जुन के पेड़ की छाल के आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताए कई फायदे
Deepa Sahu
22 July 2021 9:10 AM GMT
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हृदय रोग (Heart Disease) ग्लोबल स्तर पर मौत का एक मुख्य कारण है।
हृदय रोग (Heart Disease) ग्लोबल स्तर पर मौत का एक मुख्य कारण है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की जान दिल की बीमारी के कारण जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में हृदय रोग से हर 36 सेकंड में एक व्यक्ति की सांस थम जाती है। ऐसे में हर साल लगभग 655,000 अमेरिकी हृदय रोग से मरते हैं यानी हर 4 में से 1 की मौत। कोरोना काल में भी न जाने कितने ही लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई हैं। ऐसे में हमें अपने दिल की सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। तमाम लोग इस बीमारी के इलाज पर लाखों रुपए खर्चते हैं लेकिन इसके शुरुआती लक्षणों का पता चल जाए तो हम इसके खतरे को घरेलू तरीकों के जरिए भी रोक सकते हैं।
यहां हम आपको दिल की बीमारी के जोखिम को टालने के लिए एक आयुर्वेद का अचूक नुस्खा बता रहे हैं। दरअसल, यहां हम अर्जुन के पेड़ के बारे में बात कर रहे हैं जिसकी छाल (Arjun barks) का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। खासतौर से दिल की सेहत के लिए इस पेड़ का बहुत योगदान है। इसके फायदों के बारे में हमने आयुर्वेदिक डॉक्टर से बातचीत की है। आइए, जानते हैं हमें किस तरह से लाभ पहुंचाता है अर्जन का पेड़।
दिल की बीमारी के जोखिम को कम करती है अर्जुन की छाल
अर्जुन का पेड़ जिसे अर्जुनारिष्ट भी कहा जाता है और इसका पारंपरिक रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सा में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। बेंगलुरु के जीवोत्तम आयुर्वेद केंद्र के वैद्य डॉ. शरद कुलकर्णी M.S (Ayu),(Ph.D.) ने बताया कि मुख्य रूप से इस पेड़ की छाल का प्रयोग दिल के रोगों की दवा बनाने में किया जाता है। उन्होंने हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए इस पेड़ की छाल का प्रयोग बहुत फायदेमंद है।
कैसे करें अर्जुन की छाल का प्रयोग
डॉ. शरद कुलकर्णी के अनुसार, आप अर्जुन के पेड़ की छाल का पाउडर बनाकर इसे पानी या दूध के साथ पी सकते हैं। आप चाहें तो पानी में पेड़ की छाल को उबाल लें और फिर इसे छानकर पीएं। इसके अतिरिक्त आप इसके पाउडर को दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं। अर्जुन का पेड़ आमतौर पर भारत में हर जगह उपलब्ध है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ हर्बल स्टोरों में पाया जा सकता है या ऑनलाइन खरीदा जा सकता है।
हाई BP और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है छाल
पशु अनुसंधान द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि इसकी छाल के जरिए कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड (triglyceride) और रक्तचाप के स्तर (blood pressure levels) कम किया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि ये तीनों ही हृदय रोग के लिए मुख्य फैक्टर हैं।
चूहों पर किए एक शोध में पता चला है कि इस पेड़ की छाल उच्च रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को भी कम करने में कारगर है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इसी तरह मधुमेह से पीड़ित चूहों पर किए अध्ययन में पाया गया कि उन्हें 15 दिनों तक अर्जुन की छाल का अर्क खिलाया गया और बाद में देखा तो उनके रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आई।
कम हो जाता कैंसर का जोखिम
कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि इसके अर्क से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। जानवरों और टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों से पता चलता है कि अर्जुनारिष्ट के कुछ अवयवों में कैंसर विरोधी गुण हो सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इस क्षेत्र में मानव अध्ययन की आवश्यकता है।
अस्थमा को रोकने में मददगार
जानकारों की मानें तो इसमें अस्थमा विरोधी गुण (anti-asthmatic properties) भी हो सकते हैं। पशु अनुसंधान से पता चलता है कि मिश्रण के कुछ अवयवों में अस्थमा विरोधी गुण हो सकते हैं जो रोगी के शरीर में होने वाली फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। फिर भी इस पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है।
यूरिन इंफेक्शन से राहत
आयुर्वेदिक डॉ. के अनुसार, इसकी छाल के सेवन से यूरिन इन्फेक्शन की समस्या को भी दूर किया जा सकता है। यूरीन की रुकावट दूर करने में अर्जुन की छाल का दूध या काढ़ा फायदेमंद है। साथ ही अगर आपको यूरिन का मार्ग में किसी तरह का इनफेक्शन है तब भी ये फायदेमंद है। इसके लिए छाल को पीसकर दो कप पानी में उबालें जब जब पानी आधा रह जाए तो इसे ठंडा होने के बाद पिएं।
खांसी और वजन कम करने में भी मददगार
ग्रामीणों में इस पेड़ की छाल का प्रयोग खांसी को दूर करने के लिए आज भी किया जाता है। ये नुस्खा एक हजार साल पुराना है। अगर आप खांसी से परेशान हैं तो अर्जुन के पेड़ छाल या इससे बने पाउडर को दूध में मिलाकर पीएं और तुरंत राहत पाएं। इसके अतिरिक्त इसके ये वजन कम करने में भी मददगार है।
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