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गर्भावस्था में इन योगासनों जरिए रहे स्वस्थ, गर्भावस्था में ये आसन है सुरक्षित

Kajal Dubey
30 July 2023 1:56 PM GMT
गर्भावस्था में इन योगासनों जरिए रहे स्वस्थ, गर्भावस्था में ये आसन है सुरक्षित
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योग करने से शरीर को कई फायदे हो सकते हैं, लेकिन जब बात गर्भावस्था की हो, तो अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी है। इसमें कोई शक नहीं कि योग करने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है, जो गर्भवती और आने वाले शिशु दोनों के लिए अच्छा होता है। गर्भावस्था के दौरान कोई भी योगासन करने से पहले योग विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि कुछ योगासन ऐसे भी हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए। इस लेख में गर्भावस्था में योगासन करने के फायदे और कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, हम आपको इसकी जानकारी देंगे।
xगर्भवती महिलाओं के लिए योगासन-
वीरभद्रासन
इस योगासन के लिए सामान्य स्थिति में खड़े होकर हाथों को सामने रखें। इसके बाद दाएं पैर को आगे ले जाएं। अब दाएं घुटने को हल्का-सा मोड़ दें और पिछले पैर को सीधा रखें और तलवा जमीन से सटा हुआ हो। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएं। इसके बाद हाथ नमस्कार मुद्रा में होने चाहिए। पीछे की ओर हाथ को खींचे पर ध्यान रहे की पीठ सीधी रहे। फिर अपने हाथों को नीचे लाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसके बाद घुटनों को सीधा कर लीजिए। पैरो को मिला लीजिए और फिर ऐसा ही दूसरी तरफ से कीजिए।
त्रिकोणासन
गर्भावस्था के दौरान पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए यह अच्छा आसन माना जाता है। इससे शरीर लचीला होता है। इसके लिए आप पहले सीधे खड़े हो जाएं और पैरों को आपस में जोड़ लें। हाथ शरीर से सटे हुए होने चाहिए। धीरे-धीरे अपने पैरों को फैलाएं। ध्यान रहे कि दोनों पैर एक दूसरे के समानांतर हों। अपने दोनों हाथों को शरीर से दूर फैलाते हुए कंधों के समानांतर ले आएं। फिर बाएं पैर को बाहर की ओर मोड़ें। गहरी सांस लेते हुए अपने बाईं ओर झुकें और बाएं हाथ की उंगलियों से फर्श को छूने का प्रयास करें। इसी समय दाहिने हाथ को ऊपर उठाएं। अपने सिर को बाईं ओर झुकाएं और दाहिने हाथ की उंगलियों को देखने का प्रयास करें। कुछ सेकंड रुकें और सामान्य सांस लेते रहें। धीरे-धीरे सांस छोड़ें और सामान्य मुद्रा में पहुंच जाएं। फिर दूसरी तरफ भी इसी प्रक्रिया को दोहराएं।
वृक्षासन
इससे पैर, पीठ और बाजुएं लचीली होती हैं और ध्यान लगाने में भी मदद मिलती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधी तरह तनकर खड़े हो जाएं। अपने शरीर का भार बाएं पैर डाल दें फिर अपने दाएं घुटने को मोड़ दें। दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाएं और अपने बाए जांघ के साथ जोड़े दें।आपके दाएं पैर की एड़ी के दबाव का असर बाएं जांघ पर होना चाहिए। इसके बाद बाएं पैर से अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें। संतुलन बनने के बाद अपने दोनों हाथों को शरीर से दूर फैलाते हुए कंधों के समानांतर ले आएं और फिर सांस लेते हुए हाथों को सिर से ऊपर ले जाएं और नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। शरीर को तानकर रखे और संतुलन बिगड़ने न दें। फिर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं और सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर से भी करें।
मत्स्य क्रीड़ासन
इस आसन से पाचन क्रिया में मदद मिलती है। साथ ही कब्ज के समस्या से भी राहत मिली है। इसके अलावा, पैरों की नसों को भी आराम मिलता है। इसके लिए योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें। हथेलियों को अपने बाईं तरफ रखें और सिर को दाएं हाथ पर रखें। फिर बाएं घुटने को मोड़कर कमर तक ले आएं और बाईं कोहनी को घुटने के पास रखें। इस दौरान दायां पैर बिल्कुल सीधा रहना चाहिए। अब सामान्य सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद यह प्रक्रिया दूसरी तरफ भी दोहराएं।
वज्रासन
यह योगासन गर्भावस्था के समय पाचन की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। यह गर्भाशय में खून की बहाव को बेहतर करता है, जो गर्भावस्था में अच्छा होता है। इसके लिए दोनों पैरों को सामान्य स्थिति में रखें। फिर घुटनों को मोड़कर अपने कूल्हों को दोनों एड़ियों के बीच सटा लें। आपको पैरों के दोनों अंगूठे एक-दूसरे से मिले हुए होने चाहिए। अब अपनी कमर और सिर को बिल्कुल सीधा रखें। हाथ जंघाओं पर होने चाहिए। कुछ देर इसी स्थिति में रहें और आंख बंद करके ध्यान लगाने का प्रयास करें।
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