लाइफ स्टाइल

गभार्वस्था में पूरी नहीं होती नींद, इन तरीकों से करें पूरी

SANTOSI TANDI
14 Jun 2023 12:28 PM GMT
गभार्वस्था में पूरी नहीं होती नींद, इन तरीकों से करें पूरी
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गभार्वस्था में पूरी नहीं होती नींद,
गर्भावस्था आपके शरीर पर भारी प्रभाव डाल सकती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान आपको जितनी नींद की जरूरत होती है, वह हमेशा आसानी से नहीं आती। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है और आपका चयापचय उच्च चल रहा होता है। इससे दिन में नींद और थकान हो सकती है। यदि आप गर्भवती हैं और आपको एक बच्चा है देखभाल करने के लिए तो आप और भी अधिक थका हुआ महसूस कर सकती हैं। गभार्वस्था के दौरान कई ऐसे कारण होते हैं जो नींद को बाधित करते हैं। उनमें मुख्य रूप से—
—मतली और उल्टी होना (खासकर सुबह के समय)
—बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता होना
—शारीरिक परेशानी, जैसे स्तनों का कोमल और पीठ में दर्द होना
—गर्भाशय में भ्रूण घूमना
—पैर में ऐंठन होना
—पेट में जलन होना
—खर्राटे आना
—अनियमित गर्भाशय संकुचन होना
—सांस लेने में कठिनाई होना
—लेबर और डिलीवरी के बारे में चिंता होना
कौन सी नींद की स्थिति सबसे बेहतर है
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पीठ के बल लेटने से मना किया जाता है
आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को पीठ के बल लेटने से मना किया जाता है क्योंकि इससे कमर और पीठ के निचले हिस्सों पर अधिक दबाव बनता है जिससे शरीर के बड़े ब्लड वेसल्स की तरफ रक्त का बहाव या ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है। इस पोजिशन में सोने की वजह से कभी-कभी चलते समय अचानक से नसें खीच जाने या चमक आने जैसी तकलीफें हो सकती हैं और इससे महिला लड़खड़ा कर गिर भी सकती है।
करवट लेकर सोना चाहिए
प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में आमतौर पर महिलाओं को लेटने में अधिक असुविधा नहीं होती। लेकिन दूसरी तिमाही के बाद जब पेट धीरे-धीरे बढ़ने लगता है तो उन्हें थोड़ी असुविधा होने लगती है। वहीं, तीसरे ट्राईमेस्टर में पेट का आकार बहुत बड़ा हो जाता है और ऐसे में गर्भवती महिला के लिए ठीक तरीके से लेट पाना मुश्किल हो जाता है। महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान करवट लेकर सोना चाहिए। बेहतर सुविधा और आरामदायक नींद के लिए वे स्लीपिंग पिलो या प्रेगनेंसी पिलो का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
तकिए का प्रयोग करें
सावधानी से तकिए का इस्तेमाल करना आपको आराम देने में मदद कर सकता है। अपने मुड़े हुए घुटनों के बीच या अपने पेट के नीचे एक तकिया रखने की कोशिश करें।
अपने मूड मुताबिक माहौल तैयार करें
एक अंधेरा, शांत और आरामदेह वातावरण और एक आरामदायक तापमान नींद को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है। हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने से आपकी नींद की सेहत में सुधार हो सकता है। अपने शयनकक्ष से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हटा दें।
सक्रिय यानी चुस्त रहें
गर्भावस्था के दौरान नियमित शारीरिक गतिविधि करने से आपको आसानी से नींद आने में मदद मिल सकती है। आप शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम, योग और मेडिटेशन कर सकती हैं।
डाइट पर खास ध्यान दें
छोटे-छोटे, बार-बार भोजन करें और सोने से तीन घंटे पहले खाने से बचें। अपने सिर को ऊंचा करके बाईं ओर सोने से भी सीने में जलन के लक्षणों को कम किया जा सकता है। विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें। सोने से पहले उन्हें करना मददगार हो सकता है।
यदि आपको गर्भावस्था के दौरान सोने में परेशानी होती है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। एक विकल्प अनिद्रा के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी नामक टॉक थेरेपी प्रोग्राम हो सकता है। यह प्रोग्राम आपको उन विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करता है जो नींद की समस्याओं का कारण बनते हैं।
आप अपनी गर्भावस्था के दौरान बहुत सी बातों को लेकर चिंतित हो सकती हैं। आपकी नींद की स्थिति को सूची में सबसे ऊपर होने की आवश्यकता नहीं है। आपको और आपके बच्चे को इष्टतम रक्त प्रवाह देने के लिए डॉक्टर दाएं या बाएं की तरफ आराम करने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा, आप अपने लिए सबसे आरामदायक स्थिति में आने के लिए कुछ तकिए के प्रॉप्स का उपयोग करने की कोशिश कर सकते हैं। अपने बच्चे के जन्म से पहले पूरी नींद लें।
बाई तरफ सोना है फायदेमंद
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा डॉक्टर्स महिलाओं को अपनी बाई तरफ सोने की सलाह देते हैं और घुटने मोड़कर। ऐसा कहा जाता है कि ये सबसे आरामदायक पोजिशन में से एक है और सोने के लिए बेहतर स्थिति है। चूंकि आपका लिवर पेट के दाहिने ओर स्थित होता है और बाई तरफ लेटने से आपके इस अंग को आराम मिलता है, जिसकी वजह से इसका काम करना आसान हो जाता है।
बाई ओर सोने के फायदे
इसके अलावा बाई ओर सोने से दिल का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और भ्रूण, यूट्रस, गुर्दे और इंफ्रीरियर वेना कावा में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इंफ्रीरियर वेना कावा इंसानी शरीर की सबसे बड़ी नस है, जो आपके पेट के नीचे वाली वॉल के पास होती है और सबसे बड़ी धमनी के दाई ओर होती है।
कब पोजिशन बदलने से होती है परेशानी
हालांकि सोने की पोजिशन को बदलने में कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। आप अचानक से अपनी पीठ के बल सो सकती हैं या फिर दाई ओर भी लेट सकती हैं। अगर आप असहज महसूस कर रही हैं तो ऐसा करना स्वभाविक है। लेकिन तीसरे और आखिरी ट्राइमस्टर क दौरान आपको अपनी पीठ के बल सोने में दिक्कत महसूस हो सकती हैं क्योंकि ये बिल्कुल भी सहज नहीं होता है।
किन पोजिशन में सोने से बचें
बहुत से एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को दूसरे और तीसरे ट्राइमस्टर के दौरान पीठ के बल सोने से मना करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पीठ के बल सोने से आपका सार भार यूट्रस, बच्चे की पीठ, आंतों और शरीर की सबसे बड़ी नस पर पड़ने लगता है। इस दबाव से पीठ में दर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी वजह से बवासीर भी हो सकता है। इतना ही नहीं इसकी वजह से लो ब्लड प्रेशर भी हो सकता है और आप थकान महसूस करती हैं।
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