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पारंपरिक चाय को छोड़कर लोग अब बहुत तेज़ी से हर्बल चाय की तरफ़ मुड़ रहे हैं और ऐसी ही एक हर्बल टी है रुइबोस. ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स गुणों से भरपूर इस चाय की खपत हाल के दिनों में भारत में भी बढ़ी है. मूलत: अफ्रीका के पहाड़ों पर पाई जानेवाली यह चाय स्वाद और स्वास्थ्य फ़ायदों की वजह से पश्चिमी देशों की पसंद बन गई और इसी वजह से वहां इसकी खेती भी की जाने लगी है.
अफ्रीका में उगने वाले इस पौधे को रेड बुश कहा जाता है, जिससे रुइबोस चाय तैयार की जाती है. इसकी पत्तियां जब फ़र्मंटेशन प्रॉसेस से गुज़रती हैं, तो उनका रंग लाल हो जाता है और इसलिए रुइबोस चाय बनने के बाद ख़ूबसूरत लाल रंग की दिखती है. रुइबोस चाय अन्य पारंपरिक ग्रीन व ब्लैक टी की तुलना में बेहतर है. कैफ़ीन व ऑक्सलिक एसिड मुक्त होने के साथ इसमें टैनिन की मात्रा भी कम पाई जाती है. हालांकि इसकी अनफ़र्मंटेड यानी हरी पत्तीदार चाय भी समान रूप से लाभकारी होती है.
राईबोस चाय में एस्पलथिन और क्वेरसेटिन जैसे ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स होने का दावा किया जाता है, जो कई प्रकार के कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को कम करने में मददगार साबित होते हैं. इस चाय के सेवन से कोलेस्टेरॉल लेवल कम होता है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ हार्ट अटैक की संभावनाओं में भी कमी आती है. यह ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने के साथ टाइप-2 डायबीटिज़ के ख़तरे को भी कम करती है. कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िक और विटामिन सी से भरपूर यह चाय इम्यूनिटी सिस्टम को भी मज़बूत करती है. रुइबोस चाय का सेवन मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के साथ ही चमकदार बालों व स्कीन के लिए भी काफ़ी फ़ायदेमंद है. इसके अलावा इसका हल्का मीठा स्वाद काफ़ी मज़ेदार होता है.
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