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इस जानवर से भी फैलता है Rabies disease, खुद का रखे ख्याल

Sanjna Verma
12 Aug 2024 1:07 PM GMT
इस जानवर से भी फैलता है Rabies disease, खुद का रखे ख्याल
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Health protection स्वास्थ्य सुरक्षा: दुनियाभर में हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ल्‍ड रेबीज डे लोगों के बीच रेबीज संक्रमण के बारे में जागरूकता फैलाने और दुनिया भर में इसकी रोकथाम और नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। रेबीज संक्रमण को लेकर ज्यादातर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि यह वायरस कुत्तों के काटने से ही इंसानों में फैलता है। लेकिन ऐसा नहीं है। क्या आप जानते हैं रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से ही नहीं बल्कि कई अन्य जानवरों के काटने से भी फैल सकता है। आइए जानते हैं आखिर क्या होता है रेबीज रोग और किन-किन जानवरों के काटने से फैल सकता है।
WHO की मानें तो एशिया और अफ्रीका में इस जूनोटिक बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। भारत में रेबीज के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। दुनिया में रेबीज के 36 फीसदी मामले भारत में हैं।
क्या है रेबीज रोग-
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लस्सा वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से व्यक्ति को रेबीज रोग होता है। यह वायरस मनुष्य के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर पीड़ित व्यक्ति के दिमाग में सूजन पैदा करके उसे कोमा में भेज सकते हैं। सही समय पर पीड़ित को इलाज न मिलने पर उसकी मत्यु भी हो सकती है।
कुत्तों के अलावा ये जानवर भी बनते हैं रेबीज रोग का कारण-
रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है, जो संक्रमित बिल्लियों, आवारा कुत्ते, लोमड़ी, चमगादड़ और बंदरों के काटने से भी इंसान में फैल सकती है। इसके अलावा कई बार रेबीज पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी हो जाता है।
रेबीज रोग के लक्षण-
- बुखार
- चिंता और व्याकुलता
- खाना-पीना निगलने में कठिनाई
- बहुत अधिक लार निकलना
- सिरदर्द
- घबराहट या बेचैनी
-व्यवहार में परिवर्तन आना।
-बिना बात के उत्तेजित होना।
- पानी से डर लगने लगता है
-कुछ लोगों को पैरालिसिस (लकवा) होने कि संभावना।
कितने दिन में नजर आने लगते हैं रेबीज रोग के लक्षण-
रेबीज से संक्रमित होने पर उसके लक्षण सप्ताह भर बाद से लेकर कई सालों बाद तक उभर सकते हैं। जबकि ज्यादातर लोगों में रेबीज के लक्षण सामने आने में चार से आठ हफ्ते तक का समय लग जाता है।
रेबीज से बचने के लिए क्या करें-
-जानवर के काटने पर काटे गए स्थान को तुरंत पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लें।
-चोट वाली जगह पर टिंचर लगाएं। ऐसा करने से जानवर की लार में पाए जाने वाले कीटाणु सिरोटाइपवन लायसावायरस की glycoprotein की परतें घुल जाती हैं और यह रोग काफी हद तक कम प्रभावी हो जाती है, जो रोगी के बचाव में सहायक रहता है।
-रेबीज के उपचार के दौरान किसी भी तरह के नशे को करने से बचें।
-जख्म पर टांके न लगवाएं।
-पालतू कुत्तों का वैक्‍सीनेशन जरुर करवाएं।
-जानवर के काटने के तुरंत बाद डॉक्टर से पूछकर रोगी को एंटी रेबीज का इन्जेक्शन लगवाएं। क्योंकि एक बार इस रोग के लक्षण पैदा हो जाने पर इसका कोई सफल इलाज नहीं है।
-डॉक्टर की सलाह लेकर काटे गए स्थान का उचित इलाज करवाएं।
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