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एनएचएस ने मेनोपॉज पेज को लेकर लिया बड़ा फैसला, जाने क्या हैं मुख्य कारण...

Tara Tandi
1 July 2022 5:34 AM GMT
एनएचएस ने मेनोपॉज पेज को लेकर लिया बड़ा फैसला, जाने क्या हैं मुख्य कारण...
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हाल ही में एनएचएस ने अपनी इस उद्देश्य को जारी रखते हुए अपने लैंडिंग पेजिस से ओवेरियन, वॉम्ब और सर्वाइकल कैंसर जैसे शब्दों को भी हटाया था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एनएचएस ने अपने मेनोपॉज पेज पर नजर आने वाले कुछ शब्दों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मेनोपॉज पेज पर अब Women और Woman जैसे शब्द नजर नहीं आएंगे. मेनोपॉज ( Menopause ) का संबन्ध पीरियड्स यानी मासिक धर्म बंद होने से है और इसके लक्षण 40 से 50 की उम्र के बीच नजर आते हैं. पेज पर इन शब्दों को हटाने के पीछे एनएचएस का उद्देश्य समावेशी भाषा को बढ़ावा देना है. हालांकि, इस फैसले का संबंध इससे भी जोड़ा जा रहा है कि थर्ड जेंडर तक भी सही जानकारी पहुंचे. एनएचएस के मुताबिक ऐसा करने से उनके वेब पेजिस पर समावेशी भाषा का चलन और ज्यादा बढ़ सकता है. हाल ही में एनएचएस ने अपनी इस उद्देश्य को जारी रखते हुए अपने लैंडिंग पेजिस से ओवेरियन, वॉम्ब और सर्वाइकल कैंसर जैसे शब्दों को भी हटाया था.

हालांकि मेनोपॉज को लेकर लिए गए फैसले पर यूके के हेल्थ सेक्रेटरी साजिद जाविद ने नाराजगी जताई है. उन्होंने डेली मेल से बात करते हुए कहा कि एक हेल्थ सेक्रेटरी के बावजूद ऐसे फैसलों का मुझे बाद में पता चलना, सरप्राइज करने वाला है. उन्होंने कहा जब सेक्स मायने रखता है, तो बायोलोजिकल सेक्स को भी सही ट्रीटमेंट बल्कि बेस्ट ट्रीटमेंट मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह की भाषा में संवेदनशीलता नजर आती है, लेकिन हमें कॉमन सेंस का ध्यान रखते हुए सही भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि लोगों को सही जानकारी मुहैया करा पाएं.
अब पेज पर नजर आएगा ये मैसेज
बता दें कि इससे पहले मेनोपॉज के पेज पर लिखा जाता था कि मेनोपॉज तब होता है जब एक महिला को पीरियड आना बंद हो जाते हैं और वह नेचुरल तरीके से प्रेगनेंट भी नहीं हो पाएगी. हालांकि, अब पेज पर नजर आएगा कि मेनोपॉज तब होता है जब आपके पीरियड आना बंद हो जाते हैं और इसके पीछे कारण लॉवर हार्मोन लेवल होता है. मेनोपॉज उम्र का एक नेचुरल पार्ट है जो 45 से 55 की उम्र के बीच होता है. यूके में इसकी एवरेज देखी जाए, तो महिलाएं 51 की उम्र में इसे फेस करने लगती हैं.
एनएचएस के डिजिटल स्पोक्सपर्सन ने कही ये बात
इस मुद्दे पर एनएचएस के डिजिटल स्पोक्सपर्सन ने अपनी राय दी है. उन्होंने मेलऑनलाइन से बातचीत में कहा कि वेबसाइट हर किसी को सही जानकारी देती है और हम सही बदलाव के लिए वेब पेज का रिव्यू करते रहते हैं, ताकि भाषा को ज्यादा से ज्यादा समावेशी बनाया जा सके. साथ ही ऐसा करने से भाषा और सम्मानजनक और मुद्दे से जुड़ी हुई नजर आएगी.
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