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लाइफ स्टाइल
trivial matters ; बच्चों को बात-बात पर बहस से बचाने के जानें उपाय
Deepa Sahu
29 Jun 2024 3:28 PM GMT
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Argumentative Child: हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है। कुछ इंट्रोवर्ट होते हैं तो कुछ Extrovertवहीं कुछ बच्चे बेहद गुस्सैल होते हैं। इसके अलावा कुछ बच्चों का स्वभाव बात-बात पर बहस करने का होता है। जब बच्चे छोटी उम्र में ये हरकत करते हैं तो अक्सर हम उसको मज़ाक में निकाल देते हैं लेकिन टीनएज में बच्चे का बहस करना माता-पिता को कई बार शर्मिंदा तक महसूस करा देता है। अगर आप भी अपने बच्चे के इस व्यवहार में सुधार लाना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में कुछ तरीके बताए गए हैं जो आपके काम आ सकते हैं।
न दिखाएं गुस्सा जब बच्चा किसी बात पर बहस कर रहा हो तो आप गुस्सा न दिखाएं बल्कि धैर्य रखते हुए उसकी बात को सुने और उसको समझाएं कि वो अपनी बात को शांति से रखें। अगर आप बहस कर रहे बच्चे को गुस्सा दिखाएंगे तो बच्चा और ज्यादा झंझुला जाएगा। भले आपको बच्चे की बात पसंद नहीं आ रही लेकिन उनकी पूरी बात सुने और बाद में उन्हें प्यार से समझाएं। उदाहरण के तौर पर, यदि आपका बच्चा दोस्तों के साथ शहर से बाहर घूमने जाने के लिए जिद्द और बहस कर रहा है तो उसकी बात सुनने के बाद उसे समझाएं।
बात करने का तरीका सिखाएं अक्सर जब बच्चे छोटे होते हैं तो माता-पिता उसके बात करने के हर तरीके को मज़ाक में उड़ा देते हैं। लेकिन जब वो टीनएज में होते हैं तो आप उन्हें बात करने का तरीका सिखाएं। बच्चे को बताएं कि उन्हें अपनी बात कैसे और किस तरह दूसरों के सामने रखनी है। साथ ही आप खुद भी अपने घर में दूसरे लोगों से प्यार और शांति से बात करें। क्योंकि बच्चे पर आपके व्यवहार का पूरा असर पड़ता है। यदि आप चिल्लाकर बात करते हैं या बच्चों के सामने बहस करते हैं तो बच्चा भी वही सीखता है।
सिखाएं समस्या का समाधान हर समस्या का हल उसका समाधान ही है। इसलिए बच्चों को लाइफ में आने वाले चैलेंजेस से डील करना सिखाएं। बजाय इसके कि बच्चा बहस या दुर्व्यवहार करे। अगर बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो रहा है तो उसको थोड़ी देर अपनी समस्या से लड़ने के लिए अकेला छोड़े। कहीं न कहीं बच्चा अपनी समस्या का हल ढूढ़ने में सफल होगा।
सकारात्मक रवैये को दें बढ़ावाआप बच्चे की जिस चीज़ को प्रोत्साहन देंगे बच्चा उसकी चीज़ कोFrequentlyदोहराएंगे। इसलिए बच्चे के सकारात्मक व्यवहार को और उनके बातचीत के तरीके को बढ़ावा दें। साथ ही उन्हें समझाएं कि उन्हें अपनी बात कैसे किस तरह बतानी चाहिए। बहस के समय बच्चे पर नकारात्मक टिप्पणियां न करें।
एक्सपर्ट की लें मदद कई बार होता है कि बच्चे के व्यवहार में सुधार को लेकर आपके खुद के प्रयास सफल नहीं होते। या बच्चे आपको और आपकी बात को महत्त्व नहीं देते तो आप एक्सपर्ट की मदद लें। किसी एक काउंसलर या साइकोलोजिस्ट से बच्चे की काउंसलिंग करा सकते हैं।
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Deepa Sahu
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