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अंतरिक्ष में तारों (Stars)की जीवन यात्रा कम रोचक नहीं है. इन तारों की जीवन अवस्थाओं का अध्ययन भी हमारे वैज्ञानिकों का प्रिय विषय रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अंतरिक्ष में तारों (Stars)की जीवन यात्रा कम रोचक नहीं है. इन तारों की जीवन अवस्थाओं का अध्ययन भी हमारे वैज्ञानिकों का प्रिय विषय रहा है. इन अवस्थाओं में से एक अवस्था बहुत खास होती है जिसे सफेद बौना तारा (White Dwarf) कहा जाता है. एक बहुत ही दिलचस्प खोज में वैज्ञानिकों अब तक के देखे गए सबसे छोटे और सबसे भारी सफेद बौने तारे का पता लगाया है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि यह सफैद बौना तारा दो कम भार वाले सफेद बौने तारे के विलय (Merger of Dwarf Stars) से बना है. वैज्ञानिक इस तारे में विशेष रुचि इसलिए ले रहे हैं क्योंकि इस तरह के तारों के बारे में वैज्ञानिकों बहुत कुछ नहीं मालूम है.
सूर्य से भारी और चंद्रमा से छोटा
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि इस विशेष तारे का भार हमारे सूर्य के भार से भी अधिक है जबकि उसका आकार हमारे चंद्रमा के आकार के जितना ही छोटा है. इस तारे का निर्माण तब हुआ जब इससे कम भार वाले दो सफेद बौने तारे एक दूसरे का चक्कर लगाते हुए आपस में टकरा गए और उनका विलय हो गया.
सफेद बौने तारे का बनना
आमतौर पर तारों के अंतिम समय में अधिकांश तारे सफेद बौने तारे ही बन जाया करते हैं. तारों का ईंधन खत्म होने के बाद ये स्थिति आती है, लेकिन उस समय ये दहकते हुए तारे ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे की तरह ही ब्रह्माण्ड के सबसे घने पिंड में से एक होते हैं. खुद हमारे सौरमंडल का सूर्य भी 5 अरब साल बाद लाल तारा बनकर इसी अंजाम से गुजरने वाला है.
सफेद बौने तारे (White Dwarf) जितने छोटे होते हैं उतनी ही भारी भी हो जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
पृथ्वी से बहुत दूर नहीं
अंतरिक्ष में दूरियों के तुलनात्मक रूप से यह तारा पृथ्वी के पास स्थित है जो केवल 13 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. इसके कैल्टैक पालोमर वेधशालासे ज्विकी ट्रांजिट फैसिलिटी ने खोजा है. इस उच्च चुंबकीय मृत तारे को ZTF J1901+1458 नाम दिया गया है. इसकी मैकग्नेटिक फील्ड बहुत ही शक्तिशाली है जो हमारे सूर्य की मैग्नेटिक फील्ड से करीब 1 अब गुना अधिक शक्तिशाली है.
बहुत शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड
यह तारा बहुत तेजी से घूर्णन कर रहा है. खुद का ही एक चक्कर लगाने में इसे केवल सात मिनट लगते हैं. वहां हमारे सूर्य को अपने एक चक्कर लगाने में 27 दिन का समय लगता है. इस तारे का व्यास 2670 मील है जो इसे ब्रह्माण्ड में अब तक देखा गया सबसे छोटा सफेद बौना तारा बनाता है. इसकी तुलना में हमारे चंद्रमा का व्यास 2174 मील है.
ज्यादातर संभावना इस बात की है कि यह तारा बाद में न्यूट्रॉन तारा (Neutron Star) बन सकता है. (तस्वीर: NASA
क्यों भारी होते हैं छोटे सफेद तारे
इस शोध के प्रमुख लेखिका इलेरिया कियाजो का कहना है कि यह अजीब लगता है, लेकिन छोटे सफेद तारे और भी ज्यादा भारी होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन तारों में नाभकीय प्रक्रिया नहीं होती है, जो सामान्य तारों में ऊर्जा बनाती है और तारे के गुरुत्व के खिलाफ आकार बढ़ा कायम रखती है. वहीं इन सफेद बौने तारों में क्वांटम मैकेनिक्स इनके आकार का निर्धारण करती है.
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दो तारों का विलय
जब दो सफेद बौने तारों का विलय हुआ था, तो उन्होंने मिलकर एक नए तारे का निर्माण किया जो हमारे सूर्य के भार से 13.5 गुना ज्यादा था. इस तरह से अब तक सबसे भारी सफेद बौना तारा है. यदि तारों का थोड़ा और अधिका भार होता तो इस विलय के बाद एक बहुत ही तीव्र विस्फोट होता जिसे सुपनोवा कहते हैं. फिर भी शोधकर्ताओं को लगता है कि यह तारा इतना बड़ा है कियह न्यूट्रॉन तारे में बदल सकता है. माना जाता है कि न्यूट्रॉन तारा तब बनता है जब सूर्य से बड़ा तारा सुपरनोवा में विस्फोटित होता है
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