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पसीने के कारण शरीर से आने वाली दुर्गंध को दूर करने और रिफ्रेश महसूस कराने के लिए परफ्यूम और डियोड्रेंट्स का प्रयोग किया जाता रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पसीने के कारण शरीर से आने वाली दुर्गंध को दूर करने और रिफ्रेश महसूस कराने के लिए परफ्यूम और डियोड्रेंट्स का प्रयोग किया जाता रहा है। इसमें कृत्रिम सुगंध को लंबे समय तक बनाए रखने और शरीर से दुर्गंध को कम करने के लिए कई प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है। क्या ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं? इतने हानिकारक कि यह कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं?
हाल ही में आपने कई रिपोर्ट्स में इस तरह का दावा सुना होगा कि त्वचा के संपर्क में आने के साथ ही डियोड्रेंट्स प्रतिक्रिया करके, इसमें होने वाली क्षति का कारण बन सकते हैं।
डियोड्रेंट्रस में रसायनों के प्रयोग को लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जाता रहा है कि डियो लगाने के बाद त्वचा में जलन होती है जो इस बात का सूचक है कि यह आपके लिए हानिकारक है। तो क्या वास्तव में डियो इतना नुकसानदायक है? इस लेख में हम मेडिकल साइंस द्वारा डियो से होने वाली समस्याओं को लेकर किए गए शोध के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
कितना हानिकारक है डियोड्रेंट?
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि डियोड्रेंट्स की खुशबू को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए इसमें कई तरह के रसायनों को प्रयोग में लाया जाता है। सिर्फ डियोड्रेंट्स ही नहीं ज्यादातर कॉस्मेटिक और फार्मास्युटिकल उत्पादों में भी इनका प्रयोग देखा गया है। एल्यूमीनियम यौगिक उनमें से एक हैं।
असल में एल्यूमीनियम यौगिक ऐसे तत्व होते हैं जो पसीने को रोकते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन द्वारा प्रकाशित हालिया शोध से पता चलता है कि इनके लगातार उपयोग से संवेदनशील कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है।
पैराबीन्स का डियोड्रेंट में उपयोग
डियोड्रेंट्स को लेकर किए गए अध्ययन में पाया गया कि बैक्टीरिया और फंगस के कारण होने वाले दुर्गन्ध को रोकने के लिए पैराबीन्स नामक यौगिकों को प्रयोग में लाया जाता है। यह सच है कि पैराबीन्स त्वचा में अवशोषित हो सकता है। ये शरीर में प्रवेश के साथ ही एस्ट्रोजन के रूप में कार्य कर सकते हैं, जोकि महिलाओं के यौन विकास, स्तन और शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या इन रसायनों और यौगिकों से कैंसर हो सकता है?
पेन मेडिसिन जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में शोधकर्ता बताते हैं कि इनके संयमित उपयोग को हानिकारक नहीं पाया गया है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के शोधकर्ताओं ने भी अध्ययन में पाया कि डियोड्रेंट के कारण कैंसर होने के दावों का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है। हालांकि नेशनल किडनी फाउंडेशन के शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों को किडनी की समस्या है उन्हें एंटीपर्सपिरेंट्स के उपयोग को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, यह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
डियोड्रेंट्स लगाने से जलन क्यों होती है?
अगर डियोड्रेंट्स का सीमित उपयोग नुकसानदायक नहीं हैं तो अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर डियोड्रेंट्स लगाने से जलन क्यों होती है? इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ लोगों को डियोड्रेंट्स या एंटीपर्सपिरेंट्स से एलर्जी हो सकती है। अनुसंधान इंगित करते है कि यह प्रोपिलीन ग्लाइकोल नामक रसायन, सुगंधित तेल और लैनोलिन जैसे अवयवों के कारण हो सकता है। डियोड्रेंट्स लगाने से जलन होने का यह मतलब नहीं है कि यह कैंसर कारक है।
Tara Tandi
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