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कई बार लोग अच्छी और बुरी चीजों में फर्क नहीं समझ पाते और वह उससे इतना प्रभावित हो जाते हैं कि उसके एडिक्ट बन जाते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कई बार लोग अच्छी और बुरी चीजों में फर्क नहीं समझ पाते और वह उससे इतना प्रभावित हो जाते हैं कि उसके एडिक्ट बन जाते हैं. एडिक्शन किसी भी प्रकार का हो सकता है जैसे चोरी करना, शराब पीना, गुस्सा करना या ड्रग्स लेना. जिस काम को करने में व्यक्ति को अच्छा लगने लगे वह उसका एडिक्ट हो जाता है. व्यक्ति के इसी बिहेवियर को इंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं. इस डिसऑर्डर का संबंध इमोशंस से होता है. इंपल्सिव डिसऑर्डर में व्यक्ति बिना सोचे समझे कार्य को अंजाम देता है. व्यक्ति का ऐसा बिहेवियर बचपन से ही डेवलप होने लगता है जो धीरे-धीरे उम्र के साथ बढ़ सकता है. इंपल्सिव डिसऑर्डर और इसके लक्षणों के बारे में जान लेते हैं.
क्या है इंपल्सिव डिसऑर्डर?
वेरीवैल माइंड के अनुसार इंपल्सिव बिहेवियर डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. ऐसे लोग अक्सर दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं या सामाजिक और कानूनी नियमों को तोड़ते हैं. ऐसा बार-बार दोहराव इंपल्सिव डिसऑर्डर में तब्दील होने लगता है. हमेशा गलती या शर्म का एहसास भी इस बीमारी को बढ़ावा देता है.
व्यवहार संबंधी लक्षण: चोरी करना, झूठ बोलना, आग लगाना, जोखिम भरा व्यवहार या गुस्सा करना व्यवहार संबंधी लक्षण हैं, जो व्यक्ति में देखे जा सकते हैं.
मानसिक लक्षण: लोगों के बारे में बुरा सोचना, किसी भी काम में मन न लगना, तोड़फोड़ करना और ऑब्सेसिव बिहेवियर मानसिक लक्षण हो सकते हैं.
सोशल और इमोशनल लक्षण: एंजाइटी, लो कॉन्फिडेंस लेवल, समाज से दूरी, मनोदशाओं में बदलाव या अपराधिक भावना इमोशनल डिसऑर्डर को बढ़ावा देती है.
इंपल्विस डिसऑर्डर के कारण
यौन शोषण
यौन अपराध
अकेलापन महसूस होना
शारीरिक शोषण
डर
फोबिया
Tara Tandi
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