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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस के मामले दुनिया के कई देशों सहित एक बार फिर भारत में बढ़ते दिख रहे हैं। मरीज़ों की संख्या बढ़ने के पीछे कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के नए सब-वेरिएंट हैं। यही वजह है कि अब दोबारा घर से बाहर निकलते वक्त लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है ताकि मामलों को कुछ हद तक रोका जा सके।
वहीं मास्क को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है, जिसमें यह बताया गया है कि एक ही मास्क को बार-बार इस्तेमाल करने से बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन का जाखिम बढ़ जाता है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि एक ही मास्क के दोबारा इस्तेमाल से बीमारी का ख़तरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है उन्हें मास्क के दोबारा उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि उनमें रोगाणुओं के कारण बीमारी का ख़तरा बढ़ जाता है।
जापान के शोधकर्ताओं ने फेस मास्क हाइजीन को लेकर रिसर्च की, जिसमें उन्होंने मास्क के दोनों तरफ बैक्टीरिया और फंगस पाया। रिसर्च टीम ने 109 लोगों को उनके मास्क के इस्तेमाल पर स्टडी किया। उन्होंने सर्वेक्षण प्रतिभागियों से मास्क के प्रकार के बारे में भी पूछा और साथ ही यह भी पूछा कि वे अपने मास्क को कितनी देर पहनते हैं।
अध्ययन में तीन मुख्य प्रकार के मास्क का उल्लेख किया गया जो आमतौर पर जापान में उपलब्ध थे: गैर-बुना, पॉलीयुरेथेन, और गौज़ या कपड़े का मास्क।
शोध में उन्होंने पाया कि मास्क के अंदर बैक्टीरिया कोलोनी की संख्या अधिक थी। स्टडी में यह भी कहा गया है कि चेहरे की तरफ 99 फीसदी और बाहरी तरफ 94 फीसदी नमूनों में बैक्टीरिया पाए गए थे। वहीं, फंगस बाहरी हिस्से में 95% की तुलना में चेहरे की तरफ 79% पाया गया।
लंबे समय तक मास्क पहनने से क्या होता है?
लंबे समय तक मास्क पहनने की वजह से चेहरे पर मुंहासे हो सकते हैं यानी आप मास्कने का शिकार हो सकते हैं।
मास्क लगाने की वजह से चेहरे पर पिंपल्स निकलने की परेशानी को मास्कने कहा जाता है। मास्कने - फेस मास्क पहनने से होने वाले मुंहासे से डरने की बात नहीं है।
इसके अलावा बैक्टीरिया और फंगस की वजह से आपको त्वचा से जुड़े दूसरे इन्फेक्शन भी हो सकते हैं।
Tara Tandi
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