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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| मां बनना आसान नहीं होता. जब महिला कंसीव करती है, उसी समय से उसे कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने लगती हैं. वहीं जैसे जैसे प्रेगनेंसी का समय बढ़ने लगता है, महिला को सुरक्षित प्रसव की चिंता सताने लगती है. जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं, उनके अंदर डिलीवरी के वक्त होने वाले दर्द की घबराहट होती है.
ऐसे में वे कई बार सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) का विकल्प चुन लेती हैं. लेकिन याद रखिए सी-सेक्शन डिलीवरी से उस समय आपको दर्द बेशक कम महसूस हो सकता है, लेकिन बाद में इसके कारण आपको कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. जब नॉर्मल डिलीवरी में दर्द बर्दाश्त करके आप भविष्य की तमाम समस्याओं से बच सकती हैं. सी-सेक्शन डिलीवरी तब तक करवाने से बचना चाहिए, जब तक इसकी बहुत ज्यादा जरूरत न हो. जानिए नॉर्मल डिलीवरी के क्या फायदे हैं.
जल्दी होती है रिकवरी
सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को चलने-फिरने में दो से तीन दिनों का समय लग सकता है. उसको अस्पताल में 3 दिनों से लेकर 7 दिनों तक रहना पड़ सकता है. इसके अलावा घर जाकर भी लंबे समय तक बेड रेस्ट करना पड़ सकता है. जबकि नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला बच्चे को जन्म देने के कुछ ही समय में चलने लायक हो जाती है. उसकी रिकवरी बहुत फास्ट होती है.
संक्रमण का जोखिम कम होता
नॉर्मल डिलीवरी के समय महिला के शरीर के अंदर कोई जख्म नहीं होता, इसलिए महिलाओं को संक्रमण वगैरह का खतरा काफी कम होता है. इसके अलावा डिलीवरी होने के बाद महिला को लंबे समय तक दर्द वगैरह नहीं सहना पड़ता.
बच्चे को मिलते हैं गुड बैक्टीरिया
जन्म के समय बच्चा बर्थ कैनाल से होकर गुजरता है, इस दौरान बेबी जिन बैक्टीरिया के संपर्क में आता है, वो उनके लिए काफी फायदेमंद होता है. ये बैक्टीरिया इम्यूनिटी बढ़ाने, मस्तिष्क और पाचन स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं, साथ ही कई तरह के संक्रमण से उसका बचाव करते हैं.
एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट्स से होता बचाव
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान महिला को एनेस्थीसिया देने की जरूरत पड़ती है. इसके कारण लो बीपी, सिरदर्द, चक्कर आना आदि साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. लेकिन नॉर्मल डिलीवरी में एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं पड़ती. इसके कारण साइड इफेक्ट्स का कोई खतरा नहीं रहता.