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जानिए कन्वर्जेंस कमी के लक्षण और उपचार

Subhi
1 July 2022 8:26 AM GMT
जानिए कन्वर्जेंस कमी के लक्षण और उपचार
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आज के डिजिटल युग में स्क्रीन के सामने समय बिताना आम बात है. महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण लोग घर से बाहर नहीं जा सकते थे. ऐसे में वे समय बिताने के लिए मोबाइल और लैपटॉप का सहारा लेते थे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज के डिजिटल युग में स्क्रीन के सामने समय बिताना आम बात है. महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण लोग घर से बाहर नहीं जा सकते थे. ऐसे में वे समय बिताने के लिए मोबाइल और लैपटॉप का सहारा लेते थे. वहीं जहां बड़ों का स्क्रीन टाइम बढ़ा है उसी तरह बच्चों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ा है. जैसे बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई, गेमिंग और मनोरंजन के लिए स्क्रीन पर समय बिताना आदि. बच्चे आजकल मोबाइल फोन पर दोस्तों के साथ वीडियो कॉल कर रहे हैं और घंटों सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. ये आदत बच्चों और बड़ों दोनों की आंखों में खिंचाव पैदा कर रही है, जिसके कारण कनवरजेंस की कमी की समस्या हो रही है. ऐसे में इस समस्या के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कन्वर्जेंस की कमी किसे कहते हैं और इससे बचाव क्या हैं. इसके लिए हमने विजन आई सेंटर, नई दिल्ली के स्ट्रबिस्मुस और पीडियाट्रिक ऑप्थेल्मोलॉजी कंसलटेंट डॉ स्मिता कपूर से भी बात की है.

कन्वर्जेंस की कमी क्या है?
ये आंख से संबंधित एक बीमारी है. इस बीमारी में दोनों आंखें किसी नज़दीक की वस्तु को देखते समय उन्हे पहचान नहीं पाती हैं और साथ में ये आंखे काम नहीं कर पाती हैं. इस समस्या में जब किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की जाती है, तो एक आंख बाहर की ओर निकल सकती है, जिससे धुंधला दिख सकता है और दो दो चीज़ें दिखने लग सकती हैं. इससे पढ़ना और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है और बार-बार सिरदर्द भी होता है. यह स्थिति आमतौर पर बचपन में शुरू होती है लेकिन इससे वयस्क भी प्रभावित हो सकते है
कन्वर्जेंस की कमी और स्क्रीन टाइम में क्या सम्बन्ध है?
अधिकांश स्क्रीन का उपयोग नज़दीक से किया जाता है, इसलिए कन्वर्जेंस की कमी की समस्या पैदा होती है. बच्चे विशेष रूप से वयस्कों की तुलना में कम सावधानी बरतते हैं, इसलिए वे आजकल वयस्कों की तुलना में कन्वर्जेंस अक्षमता का ज्यादा अनुभव करते हैं.
कनवरजेंस कमी का लक्षण क्या होता है?
सिरदर्द
तनाव
आंखों की थकान
पढ़ने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
दो- दो चीज़ें दिखना
आंखों को बार-बार मीचने या रगड़ने की ज़रूरत महसूस करना आदि.
उपचार
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बच्चों पर बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए ताकि उनके स्क्रीन टाइम और नॉन-स्क्रीन टाइम के बीच पर्याप्त संतुलन बनाया जा सके.
दूसरा आंखों और स्क्रीन के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखनी चाहिए.
तीसरी सबसे महत्त्वपूर्ण बात बच्चों को एक प्रशिक्षित नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित कई ओकुलर एक्सरसाइज करनी चाहिए.
अगर एक्सरसाइज़ से मदद नहीं मिलती है, तो बच्चे को प्रिज्म का चश्मा दिया जाना चाहिए.
किसी भी व्यक्ति में अगर कनवरजेंस समस्या का हल्का सा भी लक्षण नज़र आता है तो उन्हें तुरन्त नेत्र रोग विषेशज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
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