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लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु जनित रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। यह जीनस लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून का प्रभाव देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, असम जैसे राज्यों में तेज बारिश के कारण बाढ़ का कहर जारी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बाढ़ प्रभावित राज्य के लोगों को सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। बारिश और बाढ़ के खतरे के बीच बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने शहर में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के खतरे को लेकर अलर्ट किया है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून के बाद से राज्य में लेप्टोस्पायरोसिस के कई मामले रिपोर्ट किए गए हैं। जुलाई में अब तक सात से अधिक लोगों में इसकी पुष्टि की गई है।
लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु जनित रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। यह जीनस लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। भारी बारिश या बाढ़ के बाद इससे संक्रमण का खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पानी या मिट्टी, लेप्टोस्पायरोसिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से दूषित रही हो तो इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति में रोग विकसित होने का खतरा हो सकता है।
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी की गंभीर स्थिति में इसके कारण मृत्यु का खतरा 10-15 फीसदी के बीच हो सकता है, इस जोखिम को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानिए
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) विशेषज्ञों के मुताबिक लेप्टोस्पायरोसिस एक जूनोटिक रोग है, जिसका अर्थ है कि इससे मनुष्यों और जानवरों दोनों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह रोग मुख्य रूप से संक्रमित जानवर के मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है। मनुष्यों में यह, जानवरों के मूत्र या दूषित मिट्टी-पानी के संपर्क में आने के कारण हो सकता है।
भारी बारिश के दौरान, जलजमाव एक आम समस्या है और इसलिए मनुष्यों के इसके संपर्क में आने की आशंका बढ़ जाती है। लेप्टोस्पायरोसिस के कारण गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं और यह घातक भी हो सकता है।
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणों के बारे में जानिए
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण, इसकी गंभीरता के आधार पर लोगों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने के बाद बीमारी के लक्षण विकसित होने में 2 दिन से 4 सप्ताह तक का भी समय लग सकता है। बीमारी आमतौर पर बुखार के साथ अचानक शुरू होती है और धीरे-धीरे इसके लक्षण बढ़ सकते हैं। सामान्यतौर पर लोगों में इस प्रकार के लक्षण देखे जाते हैं।
बुखार के साथ खांसी।
सिरदर्द- मांसपेशियों में दर्द (विशेषकर पीठ के निचले हिस्से)
बिना खुजली वाले दाने।
दस्त-उल्टी या ठंड लगना।
आंखों का लाल रहना।
किन लोगों में लेप्टोस्पायरोसिस का जोखिम अधिक होता है?
लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा कुछ लोगों में अधिक देखा जाता रहा है, अपने जोखिम को समझते हुए ऐसे लोगों को विशेष तौर पर बचाव की आवश्यकता होती है।
बरसात के दिनों में अधिक बरसात या बाढ़ वाले हिस्सों में खतरा।
जानवरों के साथ काम करने वाले जैसे डेयरी किसान या पशु चिकित्सक।
सीवर कर्मचारियों में जोखिम।
पानी में तैरने या नाव चलाने वालों में।
बगीचे या मिट्टी में काम करने वाले लोगों में खतरा, दूषित मिट्टी से इसका जोखिम अधिक होता है।
लेप्टोस्पायरोसिस का क्या इलाज है?
लेप्टोस्पायरोसिस में रोग की स्थिति और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज की प्रक्रिया का पालन किया जाता है। लेप्टोस्पायरोसिस के हल्के लक्षण वाले केस घरेलू उपायों जैसे तरल पदार्थों के अधिक सेवन, आराम और ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाओं के साथ ठीक हो जाते हैं। बैक्टीरिया के खतरे को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स को प्रयोग में लाया जाता है। समय पर इलाज मिलने से स्थिति को गंभीर रूप लेने से बचाया जा सकता है।
Tara Tandi
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