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कई यूरोपीय देशों में पिछले एक महीने से मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट जा रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कई यूरोपीय देशों में पिछले एक महीने से मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट जा रहे हैं। सामान्यतौर पर यह संक्रमण मध्य और पश्चिम अफ्रीका के हिस्सों में अधिक देखा जाता रहा है, हालांकि मई महीने की शुरुआत में इंग्लैंड में देखे गए मामले के बाद से अब तक यह अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित नौ यूरोपीय देशों में काफी तेजी फैल गया है। तो क्या भारत में भी मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि हाल ही में गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग ने पांच साल की बच्ची के सैंपल को संदेह के आधार पर जांच के लिए भेजा है। गौरतलब है कि भारत में अभी तक संक्रमण से पूरी तरह से सुरक्षित रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक बच्ची को सुनने की समस्या है, जिसके लिए वह बिहार से गाजियाबाद हॉस्पिटल आई थी। जांच करने वाले डॉक्टर ने बताया कि नाबालिग की त्वचा पर अत्यधिक दाने और खुजली थी। कुछ लक्षण मंकीपॉक्स से भी मिलते जुलते हैं, जिसके आधार पर सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने सभी लोगों को अलर्ट करते हुए मंकीपॉक्स के लक्षण और बचाव के उपायों को लेकर अलर्ट किया है। आइए जानते हैं, इसकी पहचान और बचाव कैसे की जा सकती है?
भारत में खतरे के संकेत
मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित स्थानों पर जाने या संक्रमित के संपर्क में आने के कारण फैल सकता है। फिलहाल अधिकारियों ने बताया है कि बच्ची की हाल में न तो कोई ट्रैवेल हिस्ट्री है न ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आई है जिसने पिछले एक महीने में विदेश यात्रा की हो। ऐसे में संक्रमण की पुष्टि की आशंका कम है।
हालांकि लक्षण मंकीपॉक्स की तरह ही लग रहे थे, ऐसे में मामले की वास्तविक पुष्टि के लिए सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी लोगों को इस संक्रमण से बचाव करते रहने की अपील की गई है। आइए इस बढ़ते संक्रमण के बारे में जानते हैं।
मंकीपॉक्स संक्रमण के बारे में जानिए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है। दुनिया के कई विकसित देशों में बढ़ती इस बीमारी के मामले चिंताजनक हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से फैलता है, इसके लक्षण 2- 4 सप्ताह तक रह सकते हैं। यह बहुत घातक तो नहीं है पर कई मामलों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण जरूर बन सकता है। गंभीर स्थितियों में इसका मृत्युदर 3-6 फीसदी रिपोर्ट किया गया है।
इसकी पहचान कैसे की जाए?
डब्ल्यूएचओ ने सभी लोगों से मंकीपॉक्स के लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान रखने की अपील की है। संक्रमण की स्थिति में तेज बुखार, सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी हो सकती है। रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो जाते हैं। संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) 6 से 13 दिनों का होता है।
इससे बचाव के लिए क्या करें?
भारत अब तक इस संक्रमण से सुरक्षित है। दुनिया के कई देशों में संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीनेशन किया जाता है। मंकीपॉक्स से बचाव के लिए, हाल ही में मध्य और पश्चिम अफ्रीका से लौटे लोगों के संपर्क में आने से बचें। कुछ यूरोपीय देशों में भी इसके मामले बढ़े हैं, इसका भी ध्यान रखा जाए। यूरोपीय देशों से भारत में भी आवागमन जारी है, ऐसे में संभावित खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट किया है।
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