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जानिए ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती के लक्षण

Tara Tandi
9 July 2022 10:47 AM GMT
जानिए ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती के लक्षण
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सिर में लगातार दर्द रहना, उल्टी जैसा लगना, चक्कर आना या चिड़चिड़ापन यह सभी लक्षण सामान्य से दिखाई पड़ते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सिर में लगातार दर्द रहना, उल्टी जैसा लगना, चक्कर आना या चिड़चिड़ापन यह सभी लक्षण सामान्य से दिखाई पड़ते हैं लेकिन जब यह आपकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाएं तो समझ लीजिए की बात कुछ और है. जी हां, यदि आपको बार-बार चक्कर आ रहे हैं और सिर में भी दर्द रहता है तो एक बार ब्रेन ट्यूमर का टेस्ट जरूर कराएं. धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर के लक्षण शुरूआत में दिखाई नहीं देते. माइग्रेन के दर्द और ब्रेन ट्यूमर के दर्द को पहचान पाना मुशकिल होता है. दोनों के लक्षण भी लगभग एक समान होते हैं लेकिन ब्रेन ट्यूमर होने की स्थिति में सिरदर्द के लिए ली जाने वाले पेन किलर भी राहत नहीं दे पाते. ब्रेन ट्यूमर में कई बार व्यक्ति को अचानक दौरा भी पड़ जाता है. ऐसी कई लक्षण हैं जिन्हें समझ पाना आसान नहीं होता. तो चलिए जानते हैं क्या हैं ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती लक्षण.

क्या है ब्रेन ट्यूमर?
मेडिसिननेट के अनुसार दिमाग में अनकंट्रोल्ड और एबनॉर्मल तरीके से सेल्स की वृद्धि को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है. यह दो प्रकार में विभाजित हैं-प्राथमिक और सेकेंडरी. प्राथमिक ट्यूमर में दिमाग की कोई सेल एबनॉर्मल तरीके से बढ़कर ब्रेन ट्यूमर का कारण बनती हैं. वहीं यदि शरीर के दूसरे हिस्से की एबनॉर्मल सेल्स दिमाग में फैल जाती हैं तो उसे सेकेंडरी ट्यूमर कहा जाता है. स्तन, फेफड़े, गुर्दे और स्किन के कैंसर आमतौर पर दिमाग में फैल जाते हैं.
ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती लक्षण
– ब्रेन ट्यूमर होने का सबसे पहला लक्षण है सिर में दर्द रहना. सामान्य रूप से सिर दर्द पेनकिलर लेने से ठीक हो जाता है, लेकिन य​दि सिर दर्द नियमित रूप से हो रहा है और मेडिसिन से भी कंट्रोल न हो पाए तो आपको ब्रेन ट्यूमर हो सकता है.
– ब्रेन ट्यूमर की शुरूआत में आपको सुनने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. यदि आपको सुनने में परेशानी आ रही है तो आपका टेंपोरल पार्ट प्रभावित हो रहा है.
– ब्रेन ट्यूमर में दिमाग में गांठ बन जाती है जिस वजह से सिर दर्द होता है और हमेशा उल्टी जैसा मन करता है. कई बार उल्टियां हो भी जाती है.
– इस स्थिति में व्यक्ति को हमेशा चक्कर आते रहते हैं. वह कोई भी काम ठीक प्रकार से नहीं कर पाता. खासकर के आगे की ओर झुककर करने वाले कार्य में अधिक परेशानी होती है.
– इस दौरान मूड स्विंग की समस्या बढ़ जाती है. व्यक्ति के व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन आते हैं. पल-पल में उसका मूड बदलता रहता है.
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