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Lifestyle लाइफस्टाइल: यह तो हम सभी जानते हैं कि समय का पहिया किसी के लिए नहीं रुकता है। जब Tipsआपकी उम्र बढ़ती है, तो उसके लक्षण चेहरे पर साफतौर पर नजर आने लगते हैं। उम्र बढ़ने के संकेतों में फाइन लाइन्स और रिंकल्स सबसे आम लक्षण माने जाते हैं। अधिकतर लोग फाइन लाइन्स और रिंकल्स को एक ही समझते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। भले ही ये दोनों संकेत उम्र बढ़ने पर नजर आएं, लेकिन फिर भी इनकी अपीयरेंस, कारण और उपचार के तरीके अलग हैं।इसलिए, इनसे निपटने के लिए या फिर इनकी अपीयरेंस को कम करने के लिए आपको पहले इनके बीच के अंतर को समझना होगा। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि रिंकल्स और फाइन लाइन्स के बीच क्या अंतर होता है-
फाइन लाइन्स कैसी दिखती हैं?
फाइन लाइन्स और रिंकल्स के बीच के अंतर को समझने के लिए आपको सबसे पहले इसकी अपीयरेंस के बारे में समझना होगा। फाइन लाइन्स उथली, छोटी सिलवटें होती हैं जो मुख्य रूप से त्वचा की सतह पर दिखाई देती हैं। वे अक्सर उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षण होते हैं। फाइन लाइन्स अमूमन आंखों, मुंह और माथे के आसपास नजर आती हैं। फाइन लाइन्स आमतौर पर 2 मिलीमीटर से कम चौड़ी होती हैं और अक्सर त्वचा के डिहाइड्रेट होने पर अधिक विजिबल होती हैं।
झुर्रियां कैसी दिखती हैं?
जहां तक बात झुर्रियों या फिर रिंकल्स की है तो वह अधिक गहरी होती हैं और अधिक स्पष्ट सिलवटें होती हैं। वे समय के साथ विकसित होती हैं और फाइन लाइन्स की तुलना में अधिक स्थायी होती हैं। रिंकल्स दो तरह के होते हैं- डायनामिक रिंकल्स और स्टेटिक रिंकल्स। डायनामिक रिंकल्स आमतौर पर फेशियल मूवमेंट जैसे मुस्कुराने या भौंहें सिकोड़ने पर दिखाई देते हैं, वहीं स्टेटिक रिंकल्स चेहरे के आराम करने पर भी नजर आती हैं। रिंकल्स आमतौर पर माथे, आंखों के आस-पास और मुंह और गर्दन के आसपास नजर आते हैं।
फाइन लाइन्स के कारण क्या हैं?
फाइन लाइन्स सिर्फ उम्र बढ़ने का ही लक्षण नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन, अगर स्किन में नमी की कमी होती है, तो इससे फाइन लाइन्स साफतौर पर नजर आती है। इसी तरह, सूरज के अधिक संपर्क में रहने से भी ऐसा हो सकता है। सूरज से निकलने वाली यूवी किरणें स्किन में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को तोड़ देती हैं, जिससे बारीक रेखाएं बनने लगती हैं। अगर आप धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं या फिर पोषण का ध्यान नहीं रखते हैं तो इससे भी फाइन लाइन्स की अपीयरेंस बढ़ सकती है। कई बार प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय तनाव स्किन बैरियर को नुकसान पहुंचाकर फाइन लाइन्स के विकास में योगदान कर सकते हैं।
रिंकल्स के कारण क्या हैं?
फाइन लाइन्स की ही तरह रिंकल्स की अपीयरेंस के पीछे भी कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन, उम्र बढ़ना इसका मुख्य कारण है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी त्वचा कोलेजन और इलास्टिन खोती जाती है, ये प्रोटीन स्किन इलास्टिसिटी और फर्मनेस के लिए जिम्मेदार होते हैं। जिससे समय के साथ रिंकल्स नजर आने लगते हैं। कई बार रिंकल्स का कारण जेनेटिक्स भी हो सकता है। फाइन लाइन्स की ही तरह, लंबे समय तक सूर्य के संपर्क में रहने से कोलेजन और इलास्टिन का टूटना तेज हो जाता है, जिससे रिंकल्स नजर आने लगते हैं। आपका लाइफस्टाइल भी रिंकल्स अपीयरेंस को स्पीडअप कर सकता है। मसलन, धूम्रपान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली झुर्रियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। खासतौर से, धूम्रपान स्किन में ब्लड फ्लो को कम करता है, जिससे इसे आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं।
फाइन लाइन्स को कैसे दूर करें?
अगर आप फाइन लाइन्स की अपीयरेंस को कम करना चाहते हैं तो आपको कुछ टिप्स को फॉलो removeकरना होगा-सबसे पहले स्किन हाइड्रेशन का ख्याल रखना आवश्यक है। इसलिए, मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करें और स्किन को हाइड्रेट रखें। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।सन प्रोटेक्शन के लिए कम से कम 30 के एसपीएफ वाले ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। यह स्किन पर फाइन लाइन्स बनने से रोक सकता है।विटामिन सी, विटामिन ई और नियासिनमाइड जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त स्किनकेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। यह एनवायरनमेंटल डैमेज से बचा सकते हैं और कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा दे सकते हैं।अगर आप चाहें तो ओवर-द-काउंटर रेटिनॉल या प्रिस्क्रिप्शन रेटिनोइड्स का सहारा भी ले सकते हैं। ये सेल टर्नओवर को बढ़ाने और कोलेजन प्रोडक्शन को बूस्ट करने में मदद कर सकते हैं, जिससे फाइन लाइन्स की अपीयरेंस कम हो जाती है।माइल्ड एक्सफोलिएशन डेड स्किन सेल्स को हटा सकता है और एक स्मूथ स्किन दे सकता है, जिससे फाइन लाइन्स कम नजर आते हैं।
रिंकल्स को कैसे दूर करें?
अगर आपकी स्किन पर रिंकल्स नजर आने लगे हैं तो उसे कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। मसलन-रिंकल्स की अपीयरेंस कम करने के लिए आपको एंडवास स्किन केयर प्रोडक्ट्स में इनवेस्ट करने की जरूरत है। इसके लिए स्किन केयर एक्सपर्ट की मदद ली जा सकती है।कुछ प्रोफशनल ट्रीटमेंट जैसे केमिकल पील, माइक्रोडर्माब्रेशन, लेजर रिसर्फेसिंग और माइक्रोनीडलिंग आदि कोलेजन उत्पादन को उत्तेजित करके रिंकल्स की अपीयरेंस में काफी सुधार कर सकती हैं।इसके अलावा, बोटॉक्स और अन्य न्यूरोमॉड्यूलेटर भी मसल्स को रिलैक्स करके डायनामिक रिंकल्स को अस्थायी रूप से कम कर सकते हैं। वहीं स्टैटिक रिंकल्स के लिए डर्मल फिलर्स की मदद ली जा सकती है।रिंकल्स की अपीयरेंस कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। आप एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट लें। खुद को हाइड्रेटेड रखें। धूम्रपान और तनाव से बचने की कोशिश करें।
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Deepa Sahu
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