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जानिए पौष्टिक, स्वादिष्ट, सरल राजस्थानी थाली बनाने की विधि

Shiddhant Shriwas
21 May 2022 11:53 AM GMT
जानिए पौष्टिक, स्वादिष्ट, सरल राजस्थानी थाली बनाने की विधि
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भारतीय खानपान न ही केवल स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि यह संस्कृति और इतिहास को भी दर्शाता है और सबसे विशेष बात है उसका उद्गम।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जयपुर । राजस्थान का रंगीन और शौर्य भरी इतिहास से पुरी दुनिया परिचित है। देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में स्थित यह राज्य अपने विशाल और भव्य महल के साथ- साथ कला, संस्कृति और खान-पान के लिए भी जाना जाता है और उत्सव के समय रंगीन सजावटें, स्वादिष्ट और पारम्परिक व्यंजनों से सारा माहौल शानदार हो उठता है। भारतीय खानपान न ही केवल स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि यह संस्कृति और इतिहास को भी दर्शाता है और सबसे विशेष बात है उसका उद्गम।

राजस्थान की जलवायु आमतौर पर अर्ध- शुष्क है, जिसके चलते खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है,क्योंकि ऐसे मौसम पर फल-सब्जी को उपजाऊ करना मुश्किल काम है। राजस्थानकीथाली- पौष्टिक, स्वादिष्ट, सरलपुस्तक लेखिका सुमन भटनागर और पुष्पा गुप्ता, राजस्थान के पारम्परिक व्यंजनोंके बारे में लिखी गई है। इन्हें सरल तरीके से कैसे पकाया जा सकता है, कैसे आप गेहूँ, मक्का, बाजरा और दाल से बने मज़ेदार पकवान पेश कर सकते हैं, अपने प्रियजनों को। इनके बारे में विस्तार से बताया गया है।
साबुत और सूखे-पिसे, चूर्ण मसाले राजस्थानी व्यंजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पकने के साथ ये विभिन्न मसाले भोजन को अद्वितीय स्वाद और खुशबू देते हैं। एक प्रसिद्ध राजस्थानी मांसाहारी व्यंजन है,लाल मांस, जो बेहद गरम और मसालेदार होता है।इसकी संपूर्ण विधि हमें इस किताब में मिलता है। यह किताब उन व्यंजनों को भी पेश करती है,जिन्होंने खाद्य पदार्थों के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता हासिल की है, जैसे-- बेसन के गट्टे, मिर्ची बड़ा, तिल लड्डू इत्यादि। लेखिका कुछ ऐसे व्यंजनों के बारे में भी चर्चा करती हैं, जो आज प्रचलित नहीं हैं। नौ अध्यायों में विभाजित यह पुस्तक कुछ चटपटे और स्वादिष्ट जायकों के साथ विविधता प्रदान करती है और बहुआयामी कार्यशैली वाली पीढ़ी की खानपान संबंधी आदतों और जीवन-शैली से उत्पन्न परिस्थितियों में यह सहायक सिद्ध होगी।
नियोगी बुक्स द्वारा प्रकाशित यह मनोरम राजस्थानी व्यंजनों की पुस्तक विभिन्न प्रकार के भोजन के स्वादोंसे मंत्रमुग्ध कर देती है। लेकिन समय के साथ- साथ यह पारंपरिक खानपान का चलनलोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। ऐसे समय में इन पारम्परिक व्यंजनों का ज्ञान और उनकी लोकप्रियता को बरकरार रखना अनिवार्य हो जाता है। यह पुस्तक एक प्रयास है, युवाओंके बीच भारतीय खानपान की विरासत को जीवित रखने का।


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