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जानें बोलने वाली भाषा से कितनी अलग होती है बॉडी लैंग्वेज
SANTOSI TANDI
27 Sep 2023 9:49 AM GMT
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अलग होती है बॉडी लैंग्वेज
असल में बोलने वाली आम बोल चाल की भाषा वह भाषा होती है, जिसका इस्तेमाल हम इंसान अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए करते हैं। यह बेहद कठिन तरीका हो सकता है, जिसमें ध्वनि (Sounds), शब्द (Words), (वाक्य) Sentences और व्याकरण (Grammar) शामिल होते हैं। बोलने वाली भाषा का इस्तेमाल कई तरह के मकसद के लिए किया जाता है, जैसे कि संचार (Communication), शिक्षा (Education) और मनोरंजन (Entertainment)।
जब आप बोलते हैं तब आप इन तरीकों से बोलते हैं, जैसे:
बोल चाल वाली भाषा की शुरूआत ध्वनि के तरंगों से यानी वॉयस वेव से होता है। ये ध्वनि तरंगें हमारे मुंह, गले और फेफड़ों से निकलती हैं।
बोलने वाली भाषा में शब्दों को सेलेक्ट करना होता है। शब्द ध्वनि तरंगों को एक साथ इस्तेमाल किए जाते हैं तो कहीं इसका मतलब होता है।
शब्दों को एक साथ जोड़कर वाक्य बनाए जाते हैं, जिसमें वाक्य एक या अधिक शब्दों से बने होते हैं और बोलने पर उनका भी एक मतलब होता है।
व्याकरण बोलने वाली भाषा का एक नियम होता है। यह हमें यह बताता है कि शब्दों और वाक्यों को कैसे कम्बाइंड कर के बोला जाए।
बोलने वाली भाषा बेहद खास स्किल्स है, जो हमें इंसान के तौर पर एक-दूसरे से जुड़ने और संवाद करने के सही तरीके बताता है। यह हमें सीखने और विकसित होने के रास्ते दिखाता है। दुनिया भर में हजारों बोलने वाली भाषाएं हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी अनूठी ध्वनि, शब्दावली और व्याकरण होती है। पर इस दौरान आपकी भाव-भंगिमा कहीं ज्यादा मायने रखता है। सबसे आम बोलने वाली भाषाओं में अंग्रेजी, चीनी, स्पेनिश, हिंदी और अरबी शामिल हैं। बोलने वाली भाषा को आसान तरीके से समझने के लिए, हम इसे एक गेम की तरह सोच सकते हैं।
हमारे पास खेल के कुछ नियम हैं, जिनका पालन इस तरह से किया जा सकता है:
हम केवल आवाज का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हम इन आवाज को एक साथ जोड़कर शब्द बना सकते हैं।
हम इन शब्दों को एक साथ जोड़कर वाक्य बना सकते हैं।
हम इन वाक्यों का उपयोग अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कर सकते हैं।
एक बार जब हम इन नियमों को समझ लेते हैं, तो हम बोलने वाली भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर सकते हैं। हम शब्दों और वाक्यों को बनाने के लिए अपनी आवाज का इस्तेमाल कर सकते हैं और हम इन शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल दूसरों के साथ संवाद करने के लिए कर सकते हैं।
बोलने वाली भाषा और बॉडी लैंग्वेज दोनों ही संचार के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से अलग हैं। बोलने वाली भाषा शब्दों और वाक्यों का उपयोग करके विचारों और भावनाओं को व्यक्त करती है, जबकि बॉडी लैंग्वेज शारीरिक हाव-भाव, चेहरे के भाव और आंखों के संपर्क का उपयोग करके संवाद करती है।
बोलने वाली भाषा और बॉडी लैंग्वेज एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि संदेश अधिक प्रभावी और संपूर्ण हो सके। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति कहता है, "मैं बहुत खुश हूं," तो उनकी मुस्कान और आंखों की चमक उनके शब्दों का समर्थन करते हैं।
बोलने वाली भाषा और बॉडी लैंग्वेज के बीच ऐसा क्या है अंतर?
बोलने वाली भाषा शब्दों और वाक्यों का उपयोग करती है, जबकि बॉडी लैंग्वेज शारीरिक हाव-भाव, चेहरे के भाव और आई कॉन्टैक्ट होती है।
बोलने वाली भाषा एक औपचारिक संचार यानी फॉर्मल कम्यूनिकेशन होती है, जबकि बॉडी लैंग्वेज अनौपचारिक संचार यानी इनफॉर्मल कम्यूनिकेशन होती है।
बोलने वाली भाषा को सुधार करने में काफी वक्त लगता है, जबकि बॉडी लैंग्वेज को जल्दी से समझा जा सकता है।
बोलने वाली भाषा में काफी कंट्रोल की जरूरत होती यानी आप क्या बोलने वाले हैं इसे सोच समझ कर बोलना होता है, जबकि बॉडी लैंग्वेज में ज्यादातर अनजाने में आपके इरादे जाहिर होते हैं।
बोलने वाली भाषा और बॉडी लैंग्वेज दोनों को समझना और संवाद करना, ये बेहद खास तरीकों में से एक तरीका माना जाता है। जब आप किसी के साथ बातचीत करते हैं, तो उनकी बोलने वाली भाषा और बॉडी लैंग्वेज दोनों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है ताकि आप उनके संदेश यानी कहने के मतलब को पूरी तरह से समझ सकें।
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