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लाइफ स्टाइल
जानिए बच्चों पर अधिक अनुशासन लागू करने के साइड इफेक्ट्स के बारे में..
Tara Tandi
18 July 2022 5:18 AM GMT
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आमतौर पर बच्चों की खास देखभाल के लिए प्यार और दुलार का होना बेहद आवश्यक है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर बच्चों की खास देखभाल के लिए प्यार और दुलार का होना बेहद आवश्यक है. बच्चों को बेहतर इंसान बनाने, अच्छी बातें समझाने के लिए थोड़ी सी सख्ती करने की भी ज़रूरत पड़ती है. डिसिप्लिन बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने में मददगार होता है. हालांकि, कुछ पैरेंट्स बच्चों को हद से ज्यादा डिसिप्लिन (Discipline) में रखने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण बच्चों में कुछ दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं.
आपने अक्सर सुना होगा कि हद से ज्यादा कोई भी चीज अच्छी नहीं होती है. डिसिप्लिन पर भी ये फॉर्मूला बिल्कुल सटीक बैठता है. बेशक बच्चों की लाइफ में डिसिप्लिन काफी अहमियत रखता है, लेकिन बच्चों को ज्यादा अनुशासन में रखना उतना ही नुकसानदायक भी हो सकता है. आइए आपको बताते हैं, बच्चों पर अधिक अनुशासन लागू करने के कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में यहां.
डरपोक बनेंगे बच्चे
बच्चों पर हद से ज्यादा अनुशासन लागू करने से बच्चे धीरे-धीरे डरपोक स्वभाव के बन जाते हैं. ऐसे में बच्चे ज्यादातर समय डरे और सहमें नजर आते हैं. साथ ही ज्यादा डिसिप्लिन रखने से बच्चे कमजोर बनने लगते हैं और हमेशा कठिनाईयों से दूर भागने की कोशिश करते हैं.
कम होता है आत्मविश्वास
बच्चों को हद से ज्यादा डिसिप्लिन में रखने से उनका आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है. इससे बच्चे अपने आप को दूसरों से कम आंकना शुरू कर देते हैं और उन्हें खुद पर भी पूरा भरोसा नहीं रहता है. साथ ही बच्चों के अंदर कॉन्फीडेंस की कमी का असर भविष्य में उनकी कामयाबी पर भी पड़ सकता है.
बच्चों का घटेगा मनोबल
बच्चों पर ज्यादा अनुशासन दिखाने से बच्चों का मनोबल भी घटने लगता है. इससे बच्चे भरोसे के साथ कोई भी काम नहीं कर पाते हैं. वहीं मोरल डाउन होने से बच्चे हिम्मती भी नहीं बन पाते हैं.
शेयर करने में हिचकिचाहट
बच्चों पर ज्यादा अनुशासन लगाने से बच्चों में डर पैदा होने लगता है, जिसके कारण बच्चे माता-पिता से कोई भी बात खुल कर शेयर नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अगर बच्चों से गलती भी हो जाए, तो बच्चे उस गलती को पेरेंट्स के सामने कुबूल करने के बजाए झूठ बोल कर छुपाना ज्यादा आसान समझते हैं.
समाज से बनेगी दूरी
डिसिप्लिन के कारण बच्चों का गिरता कॉन्फीडेंस और डर उन्हें सोशल लाइफ से भी दूर कर सकता है. इससे बच्चे नए लोगों से मिलने पर असहज महसूस करते हैं और दूसरों से खुल कर बात करने से भी बचने लगते हैं. साथ ही ऐसे में बच्चों के दोस्त भी कम बनते हैं और बच्चे जल्दी किसी के साथ घुल-मिल नहीं पाते हैं.
Tara Tandi
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