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जानिए हॉर्मोनल असंतुलन के 5 लक्षण और उनके संभावित उपाय

Tara Tandi
24 Aug 2022 12:12 PM GMT
जानिए हॉर्मोनल असंतुलन के 5 लक्षण और उनके संभावित उपाय
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अपने हॉर्मोन का गुलाम बनकर अनचाही चीज़ें करना कौन चाहता है? लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि आपके हॉर्मोन आपके काबू से बाहर हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने हॉर्मोन का गुलाम बनकर अनचाही चीज़ें करना कौन चाहता है? लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि आपके हॉर्मोन आपके काबू से बाहर हैं और इनमें संतुलन बनाए रखने के लिए क्या किया जा सकता है?

थकान या वजन बढ़ने से लेकर मूड स्विंग्स तक हॉर्मोनल असंतुलन की निशानियां हैं।
समझिए क्या हैं शरीर में हार्मोन का काम
हॉर्मोन अंतः स्राव तंत्र में ग्रंथियों द्वारा पैदा किए जाने वाले रसायन होते हैं जो रक्त में मौजूद होते हैं। जब इनमें असंतुलन होता है तब आपके शरीर में हॉर्मोन बहुत अधिक या बहुत कम होता है। भूख, चयापचय, स्लीपिंग साइकल, प्रजनन चक्र और सेक्सुअल एक्टिविटीज़, शरीर का तापमान और मनोदशा सहित शरीर में कई अलग-अलग प्रक्रियाओं को नियमित करने के लिए आपके हार्मोन महत्वपूर्ण हैं। इनमें थोड़ा सा भी असंतुलन आपके पूरे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
उम्र के साथ आते हैं बहुत सारे बदलाव
हॉर्मोन के स्तर में उम्र के विभिन्न जीवन चरणों में उतार-चढ़ाव होता ही है। विशेष रूप से युवावस्था, मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान। जीवनशैली में गड़बड़ी और कुछ चिकित्सीय स्थितियों से भी आपमें हॉर्मोनल इमबैलेंस हो सकता है।
यहां हैं हॉर्मोनल असंतुलन के 5 लक्षण और उनके संभावित उपाय
हॉर्मोनल असंतुलन के बारे में बात करते हुए हॉर्मोनल और गट इशूज़ में डील करने वाली एक्सपर्ट डाइटीशियन मनप्रीत कहती हैं कि यदि सही समय पर इन संकेतों को पहचान लिया जाए, तो महिलाएं बहुत सारी समस्याओं से बच सकती हैं।
1 मूड स्विंग्स
महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन का मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर पर प्रभाव पड़ता है। जिसमें सेरोटोनिन (एक रसायन जो मूड को प्रभावित करता है) शामिल है। एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) या पेरिमेनोपॉज़ के दौरान हो सकता है साथ ही यह रजोनिवृत्ति के कारण भी हो सकता है।
क्या करें
यदि लो या तनाव महसूस हो रहा हो, तो आपका डेली रूटीन प्रभावित होता ही है। ऐसे में आहार और जीवनशैली में परिवर्तन किया जाना आपके लिए काम कर सकता है। जैसे व्यायाम करना, कम शराब पीना और धूम्रपान छोड़ना। हर्बल उपचार और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) भी आपके लिए प्रभावी हो सकती है। यदि आप पेरिमेनोपॉज़ल या मेनोपॉज़ल हैं, तो ये सभी आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
2 पेनफुल पीरियड्स
पेट में दर्द, बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता, पीठ के निचले हिस्से में दर्द या कब्जआदि हो तो आपको फाइब्रॉएड हो सकता है। फाइब्रॉएड नॉन कैंसर है जो गर्भ में या उसके आसपास विकसित होता है। माना जाता है कि ये भी एस्ट्रोजन द्वारा ही होता है। यह दिक्कत अनुवांशिक भी हो सकती है।
क्या करें
यदि आप इन लक्षणों से पीड़ित हैं, तो चिकित्सक से परामर्श करने में देर न करें जो फाइब्रॉएड को कम करने के लिए दवा दे सकते हैं।
3 अनिद्रा और हल्की नींद
पेरिमेनोपॉज़ और रजोनिवृत्ति के दौरान अंडाशय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन धीरे-धीरे कम करते जाते हैं। ये हॉर्मोन नींद के लिए ज़रूरी हैं। एस्ट्रोजन का स्तर गिरने से रात को असामान्य रूप से पसीना आ सकता है जो आपकी नींद को बाधित करने के साथ ही थकान और ऊर्जा की कमी के लिए भी ज़िम्मेदार हो सकता है।
क्या करें
यदि आप पेरिमेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति से गुज़र रही हैं, तो अपने डॉक्टर से एचआरटी के लाभों पर बात करें। यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजन के स्तर को संतुलित करेगा। नींद में सुधार के लिए व्यावहारिक चीजें भी की जा सकती हैं। जैसे सूती कपड़े पहनना, सूती चादरों का इस्तेमाल और बेडरूम को ठंडा व अंधेरा रखने के साथ ही व्यायाम करना, शराब तथा कैफीन का सेवन भी जितना हो सके कम करना चाहिए
4 अचानक वजन बढ़ना
हॉर्मोन से संबंधित कई स्थितियां वजन बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जिसमें एक अंडरएक्टिव थायरॉयड है। यह वह स्थिति है जब आपकी थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है, जिससे चयापचय को नियंत्रित होता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या पैदा कर सकती है। जिससे आपके पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की संभावना अधिक हो सकती है।
क्या करें
यदि आपका वजन भी बढ़ गया है, तो आप आहार या व्यायाम के स्तर में बदलाव करें। इसका असर अगर आपके वजन पर न पड़े तो आप थायराइड की समस्याओं या डिम्बग्रंथि के सिस्ट जैसी स्थितियों की जांच कराने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श लें।
5 त्वचा की समस्याएं
वयस्क होने के बावजूद अगर आपको मुंहासे हो रहे हैं, तो इसका मतलब है एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर का कम होना और एंड्रोजन हार्मोन के स्तर का बढ़ना। यह पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम का भी संकेत हो सकता है। गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान हॉर्मोनल असंतुलन से त्वचा में खुजली हो सकती है जबकि शुष्क त्वचा रजोनिवृत्ति या थायरॉइड समस्याओं का एक लक्षण है।
क्या करें
यदि आपको लगातार त्वचा की समस्या हो रही हो, तो इसकी वजह हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। जिसके लिए आपको विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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