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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दोस्तों से जुड़े रहने, अपनी भावनाओं-विचारों को साझा करने, बाहरी दुनिया से अपडेट रहने के लिए हम सभी किसी न किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जुड़े होते हैं। ये आभासी दुनिया भले ही पुराने और दूर के मित्रों के पास होने का एहसास कराती रहती है पर क्या आप जानते हैं कि विशेषज्ञ इसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानते हैं। कई अध्ययनों में सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल को अवसाद, चिंता, अकेलेपन, सेल्फ-हार्म और यहां तक कि आत्मघाती विचारों के बढ़ते जोखिमों से संबंधित पाया है।
शोधकर्ता बताते हैं, सोशल मीडिया नकारात्मक अनुभवों को बढ़ावा दे सकता है, इसलिए इसका मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रकार से दुष्प्रभाव का जोखिम रहता है। विशेषकर युवा वर्ग अपने दिन का ज्यादा समय इन ऐप्स पर बिता रहा है, यह कई प्रकार की समस्याओं का कारण हो सकता है। सोशल मीडिया किस प्रकार से हमारी मानसिक सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, इसके बारे में जानने के लिए प्यू रिसर्च सेंटर ने 1,300 से अधिक किशोरों पर सर्वे किया। इसमें पाया गया कि 35% से अधिक लोग शीर्ष पांच सोशल मीडिया प्लेटफार्मों (यूट्यूब, टिकटॉक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और फेसबुक) में से कम से कम एक पर अधिक समय बिता रहे हैं।
मनोविज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक डगलस जेंटाइल कहते हैं सोशल मीडिया पर बिताने वाले समय को सीमित करने से, चिंता-अवसाद और तनाव सहित, अपनों को खोने का डर, नकारात्मक भावनाएं काफी कम हुईं और अधिक सकारात्मक भावनाएं पैदा हुईं।
इसी तरह यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिस समूह के लोगों ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम किया उनमें तीन सप्ताह के भीतर ही अकेलेपन और अवसाद की भावनाओं में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। इस आधार पर शोधकर्ता कहते हैं, भले ही सोशल मीडिया की आभासी दुनिया हमें लोगों से जुड़े रहने में मदद करती है, पर वास्तविकता में इसके कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं।