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कौन से जगह में पलाश के फूलों से बनाने रंगो खेली जाएगी होली, हर्बल कलर के फायदे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के अंतर्गत आने वाले मुरैना और श्योपुर जिले में पहली बार पलाश के फूलों से तैयार किया गया गुलाल से होली खेली जाएगी। इस रंग बिरंगे गुलाल को एक स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया गया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार मुरैना जिला कलेक्टर बी कार्तिकेयन एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोशन कुमार सिंह के मार्गदर्शन में एक स्व सहायता की महिलाओं ने पलाश के फूल से हर्बल गुलाल 60 से 70 किलो बनाकर तैयार किया है। उनके द्वारा तैयार हर्बल गुलाल जिला पंचायत सभागार में पहली बार विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया है। कलेक्टर श्री कार्तिकेयन और जिला सीईओ श्री सिंह ने हर्बल गुलाब बनाने वाली महिलाओं को बधाई दी है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगो के लिए हर्बल गुलाल आकर्षण का केंद्र भी रहा। बड़ी संख्या में लोगों द्वारा खरीददारी भी की गई। जानकारी के अनुसार आयुवेर्द में पलाश के पेड़ को बहुत ही अहम स्थान प्रदान किया गया है, क्योंकि पलाश के बहुगुणीय होने के कारण इसको कई तरह की बीमारियों के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। आयुवेर्द में पलाश के जड़, बीज तथा फूल और फल का इस्तेमाल बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। लेकिन चंबल संभाग के मुरैना और श्योपुर जिले में पहली बार इसके फूलों से निर्मित हर्बल गुलाल से होली मनाई जाएगी। हालांकि पलाश देश के कई राज्यों में पहाड़ी ,जंगली ओर पथरीले क्षेत्र में पाया जाता है। ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अपने परिश्रम एवं कौशल से आम जन को स्वस्थ्य रखने के लिए लगातार पहल की जा रही है। चाहे वह कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का निमार्ण हो अथवा होली के त्यौहार के दौरान केमिकल गुलाल की जगह पलाश के फूल से निर्मित हर्बल आजीविका गुलाल का निमार्ण हो। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल को होली के त्यौहार के पहले बाजार में उतार दिया है।