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सामान्य होते हालात में सुधारें बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य व भावनात्मक स्तर

mukeshwari
4 Jun 2023 7:30 PM GMT
सामान्य होते हालात में सुधारें बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य व भावनात्मक स्तर
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लगभग बीस माह बाद बच्चों के स्कूल खुले। हर घर से खुश होकर बच्चे स्कूलों के दरवाजे पर पहुंचने लगे। उन्हें देखकर ऐसा लगा जैसे पंछी अपने पिंजरे आजाद होकर खुली हवा में सांस ले रहे हैं। जो खुशी बच्चों को घर से निकलकर स्कूल आने पर हो रही थी, कुछ ऐसी ही खुशी उनके माताओं को महसूस हो रही थी, जो पिछले 20 माह से घरों में कैद होकर बच्चों की सुरक्षा और रखवाली कर रही थी। डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय से कोरोना महामारी के चलते बच्चे लम्बे समय से अपने दोस्तों, खेलकूद और स्कूल से दूर थे। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा। स्कूल के अध्यापकों का कहना है कि हमने बच्चों से बात करते हुए यह महसूस किया कि बच्चों का मानसिक और भावनात्मक स्तर कमजोर हो गया है। इसका कारण शायद यह रहा है कि बच्चों ने कभी इस तरह की परिस्थिति पहले नहीं देखी थी। बच्चों को तो छोडि़ए खुद हम बड़ों ने भी यह स्थिति नहीं देखी थी। धीरे-धीरे सामान्य होते हालात में माता-पिता बच्चों के व्यवहार को अनुभव करें। उनकी चिंता और जटिल भावनाओं को समझने के लिए उनके साथ उचित व्यवहार करें। उन्हें घर में ही स्कूल की तरह का एक अच्छा और खुशनुमा वातावरण देने का प्रयास करें। आप किस तरह से यह काम कर सकते हैं ।

न करें रूखा व्यवहार, बढ़ सकती है आक्रामकता

बच्चे शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह की सुरक्षा के लिए माता-पिता पर भरोसा करते हैं। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि आप उनके लिए वहाँ हैं। उसे गले लगाएं और दिन में कई बार प्यार का अहसास दिलाएं। कहें—मैं तुमसे प्यार करता या करती हूँ। इस विकट परिस्थिति में बच्चे को अकेलापन महसूस न होने दें। कभी-कभी बच्चे गलत व्यवहार करते हैं, क्योंकि वे ऊब गए हैं। महामारी को लेकर उनके डर व सवालों का जवाब दें। उसकी भावनाओं को पहचाने व कद्र करें। उनसे कहें—हम देख सकते हैं कि तुम परेशान हो। तुम अब अपने दोस्तों से मिलने लगे हो, लेकिन उन्हें देखकर तुम्हें डर महसूस होता है। तुम अभी अपने दोस्तों के साथ खेल नहीं सकते। हम घर में आनन्दपूर्वक खेल सकते हैं। यदि दोस्तों के साथ खेलना है तो दूरी रखते हुए सुरक्षात्मक तरीके से उनके साथ खेलो। आपकी ऐसी बातें बच्चों के लिए मरहम का काम करेंगी।

आपस में बात करें

बच्चों से नियमित रूप से बात करें और एक अच्छे श्रोता बनें। उनकी चिंताओं और निराशाओं पर सकारात्मक और सृजनात्मक रूप से चर्चा करें। टेलीफोन के स्थान पर उन्हें अपने दोस्तों से मिलने के लिए जाने दें। अपने परिजनों से भी उन्हें अब मिलने की इजाजत दें।

व्यायाम और आहार

व्यायाम करने से शरीर कई रसायन छोड़ता है। ये रसायन मिजाज को अच्छा करने में मदद करते हैं। विशेषकर आप इन दिनों घर में रहकर ही व्यायाम करें तो अच्छा है। सन्तुलित और सम्पूर्ण आहार लें। इसमें उपयुक्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन व मिनरल्स का समावेश हो। जंक और फास्ट फूड को सीमित करें। बच्चों के खाने को रोचक और मजेदार बनाएं, उनका मिजाज अच्छा रहेगा।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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