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खराब लाइफस्टाइल आजकल हेल्थ से जुड़े कई मसले खड़े कर रही है, जिनमें से एक बैक पेन यानी कमर दर्द भी है। जहां ज्यादातर लोग इसको नॉर्मल दर्द समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, तो कुछ इससे छुटकारा पाने के लिए पेनकिलर्स वगैरह लेते हैं, जो सही नहीं। बिना दर्द के पीछे की असल वजह जाने खुद से अपना इलाज करना समझदारी नहीं है। तो जानें किन वजहों से हो सकता है कमर दर्द।
साइटिका
साइटिका बॉडी में मौजूद सबसे बड़ी नर्व है। यह कमर के निचले हिस्से से लेकर एड़ी तक होती है। इसमें कोई भी प्रॉब्लम आने पर कमर दर्द होता ही है। प्रॉब्लम बढ़ने पर दर्द काफी बढ़ जाता है। साइटिका में शुरुआत में कमर दर्द होता है, फिर यह कूल्हों और पैरों तक चला जाता है। इसके लक्षणों की बात करें तो इसके ज्यादातर लक्षण एक पैर में ही दिखाई देते हैं, जैसे पैरों में झुनझुनाहट या उनका सुन्न होना, कमजोरी, कमर के अलावा कूल्हों और पैरों में हल्का दर्द बना रहना, कमर की तुलना में पैरों में ज्यादा दर्द होना, पैरों की उंगलियों में दर्द होना।
स्लिप डिस्क
स्लिप डिस्क में भी कमर दर्द होता है। डिस्क रीढ़ की हड्डी में लगे ऐसे पैड होते हैं, जो उसे झटके या दबाव से बचाते हैं। डिस्क में दो पार्ट होते हैं। एक जेल जैसा इंटरनल पार्ट और दूसरी कड़ी बाहरी रिंग। चोट लगने पर डिस्क का इंटरनल बाहरी हिस्से से बाहर निकल जाता है, जिसको स्लिप डिस्क होना कहा जाता है। यह प्रॉब्लम होने पर कमर में तेज दर्द होना, दर्द और बेचैनी, सुन्न होना, दर्द की जगह पर जलन और झुनझुनाहट होना, चलने में परेशानी होना, मसल्स में कमजोरी आना, बॉडी के एक हिस्से में ज्यादा दर्द होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
स्पाइनल अर्थराइटिस
स्पाइन में अर्थराइटिस भी कमर दर्द की एक वजह हो सकता है। अगर आपको कमर दर्द की शिकायत हो तो स्पाइनल अर्थराइटिस के चांस बढ़ जाते हैं। ऐसे में, इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। कमर दर्द, गर्दन दर्द, कमर और गर्दन में कड़ापन रहना, चलते वक्त पैरों में दर्द होना, पैरों का सुन्न होना, कमजोरी इसके कुछ अहम लक्षण हैं।