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यदि आपमें कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसके कारण तनाव-अवसाद जैसी समस्याओं के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है, कैसे रखे कंट्रोल

Neha Dani
11 July 2023 9:57 AM GMT
यदि आपमें कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसके कारण तनाव-अवसाद जैसी समस्याओं के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है, कैसे रखे कंट्रोल
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शरीर के सभी अंगों के ठीक तरीके से काम करते रहने के लिए आवश्यक है कि हार्मोन्स का संतुलन बना रहे। हार्मोन्स को रासायनिक संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है। हमारे रक्त प्रवाह के माध्यम से, हार्मोन्स शरीर के कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, हालांकि अगर इसमें किसी प्रकार का असंतुलन हो जाए तो शरीर की सामान्य गतिविधियों पर इसका दुष्प्रभाव हो सकता है। कोर्टिसोल ऐसा ही एक आवश्यक हार्मोन है जिसकी कमी और अधिकता, दोनों हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है।कोर्टिसोल को शरीर की तनाव प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक माना जाता है। यदि आपमें कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसके कारण तनाव-अवसाद जैसी समस्याओं के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है। इसे स्ट्रेस हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है।पर इस हार्मोन के कार्य सिर्फ तनाव को कंट्रोल करने तक ही सीमित नहीं हैं, इसके और भी कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। आइए इस बारे में जानते हैं।कई कार्यों के लिए आवश्यक है ये हार्मोनहमारी एडर्नल ग्लैंड्स, कोर्टिसोल हार्मोन का निर्माण करती हैं। शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में कोर्टिसोल रिसेप्टर्स होते हैं। वे इसका उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए करते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, इंफ्लामेशन में कमी, मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने, याददाश्त को ठीक रखने में भी इसकी भूमिका होती है।
आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी बहुत अधिक मात्रा आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।मस्तिष्क का एक हिस्सा है- हाइपोथैलेमस, ये हमारे शरीर में विभिन्न ग्रंथियों को संदेश भेजकर इस हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। हालांकि कुछ ऐसी स्थितियां हैं जो ग्रंथियों को कोर्टिसोल के अधिक उत्पादन के लिए ट्रिगर कर सकती हैं। इसमें तनाव प्रमुख है।तनाव, शरीर के भीतर हार्मोन और तंत्रिकाओं दोनों से संकेतों के संयोजन को ट्रिगर करती है। आइए जानते हैं कि अगर शरीर में इस हार्मोन की अधिकता हो जाए तो इसके कारण क्या दिक्कतें हो सकती हैं?कोर्टिसोल का स्तर सामान्य से अधिक होने की स्थिति में सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, शारीरिक स्वास्थ्य भी कई प्रकार से प्रभावित हो सकता है।वजन बढ़ने, चेहरे के सूजन की समस्या। , मुंहासा और त्वचा का पतला होना।, घावों का जल्दी न ठीक होना।, मांसपेशियों में कमजोरी।, गंभीर रूप से थकान-कमजोरी बने रहना।, अक्सर चिड़चिड़ापन या अधिक गुस्सा महसूस होना। , उच्च, रक्तचाप और सिरदर्द की समस्या।, महिलाओं में यह मासिक धर्म चक्र को भी प्रभावित करने वाला हो सकता है।, सोने में कठिनाई या नींद में खलल का अनुभव होना।, चिंता या घबराहट की भावना होना।
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