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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आजकल बहुत-से लोग माता-पिता बनने का सपना पूरा नहीं कर पाते हैं. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ऐसे लोगों का सपना सच करने का आधुनिक चिकित्सा उपचार है. इस बारे में सोसाइटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एसएआरटी) के 2019 के आंकड़े बताते हैं कि 35 वर्ष से कम उम्र की ऐसी 55 प्रतिशत महिलाओं ने इसके माध्यम से बच्चों को जन्म दिया. इसके लेख को आगे बढ़ाने के लिए हमने डॉक्टर ज्योति बंडी डायरेक्टर ऑफ डीवाईयू हेल्थ केयर, बैंगलोर से भी बात की है. जानते हैं आगे…
आईवीएफ में महिलाओं के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु बाहर निकाल कर अंडाणु और शुक्राणु आपस में मिल कर भ्रूण बनाते हैं. और फिर इसे बढ़ने के लिए महिला के गर्भाशय में रखा जाता है. महिला के गर्भवती होने की संभावना बढ़ाने के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर कई अंडाणु निकालते हैं. इसके बाद वे सबसे अच्छे भ्रूण चुनते और उसे महिला के गर्भ में रख देते हैं. कुछ मामलों में गर्भाशय में एक से अधिक भ्रूण रखे जाते हैं ताकि महिला के सफलतापूर्वक गर्भवती होने की संभावना बढ़े.
आईवीएफ में संतान के इच्छुक महिला और पुरुष को जेनेटिक जांच का भी लाभ मिलता है, जिससे भ्रूण में आनुवंशिक बीमारी न हो सके. इसमें फर्टिलिटी विशेषज्ञ कई भ्रूणों की जांच करते हैं और तब यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला के गर्भ में वही भ्रूण रखा जाए जिसमें कोई सामान्य और जेनेटिक बीमारी नहीं हो.
आईवीएफ की मदद से महिलाएं अपने अंडाणुओं को सुरक्षित रख लेती हैं. बाद में कभी गर्भवती होने के बारे में सोच सकती हैं. अंडाणुओं को फ्रीज करने से अंडाणु स्वस्थ सुरक्षित रहते हैं, जिनकी मदद से महिलाएं अपने जीवन में कभी भी बच्चे को जन्म दे सकती हैं.
आईवीएफ खुद अपने बच्चे को जन्म देने और पालने के इच्छुक लोगों के सपनों को पंख लगा रहा है. इस क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है और नई टेक्नोलॉजी आई है इसलिए सफलता की दर भी बढ़ी है. आईवीएफ ऐसे अधिक से अधिक लोगों का सपना सच करने में मदद करेगा.