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लाइफ स्टाइल
यूरीन रोकना हो सकता है ख़तरनाक, जाने क्या-क्या हो सकतें है नुकसान
Kajal Dubey
25 Jun 2023 3:23 PM GMT

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यूरीन शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निष्कासित कर देना चाहिए। वैसे तो ब्लैडर के भरने पर स्वत: प्रतिक्रिया तंत्र आपके मस्तिष्क को बॉशरूम जाने का संकेत भेजती है। पसीने की तरह यूरीन के माध्यम से भी शरीर के गैर जरूरी तत्व बाहर निकलते हैं। यदि वह थोड़े समय भी अधिक शरीर में रहते हैं तो संक्रमण की शुरुआत हो सकती है। अक्सर लोग व्यस्तता के चलते या फिर जानबूझ कर यूरीन (मूत्र) रोके रहते हैं। यूरीन रोकना हेल्थ के लिए सबसे खतरनाक चीज होती है। यूरीन रोकने से आपका ब्लैडर बैक्टीरियों को अधिक विकसित करता है जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि यूरीन को ज्यादा देर तक रोक कर रखने से क्या नुकसान होता है। आइए जानें यूरीन को रोकने से शरीर पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
* संक्रमण : यूरीन शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निकाल देना चाहिए। ब्लैडर के भरने पर नर्वस सिस्टम स्वत: मस्तिष्क को मूत्र त्यार करनेके संकेत दे देता है। पसीने की तरह यूरीन के माध्यम से भी शरीर के गैर जरूरी तत्व बाहर निकलते हैं। यदि वह थोड़े समय भी अधिक शरीर में रहते हैं तो संक्रमण शुरू हो जाता है।
* किडनी में स्टोन : यूरीन को एक से दो घंटे रोकने के कारण महिलाओं व कामकाजी युवाओं में यूरीन संबंधी दिक्कतें आती है। जिसमें शुरूआत ब्लेडर में दर्द होता है। हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लेडर में पहुंचता है, जिसे प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है।
* ब्लैडर में आ जाती है सूजन : इन्टर्सि्टशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण यूरीन भंडार यानी ब्लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्सि्टशल सिस्टाइटिस से ग्रस्त लोगों में अन्य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। अभी तक इसके सही कारणों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं लेकिन डॉक्टरों का मानना हैं कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है।
* किडनी फेलियर : किडनी फेलियर एक मेडिकल समस्या है जो किडनी के अचानक ब्लड से विषाक्त पदार्थों और अवशेषों के फिल्टर करने में असमर्थ होने के कारण होती है। यूरीन से संबंधित हर तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं। बॉडी में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है।
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